हरिद्वार। भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व धर्मनगरी में उत्साह व उल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने भाईयों के माथे पर मंगल टीका कर कलाई पर राखी बांधी और रक्षा का वचन लिया। भाईयों ने बहनों के प्रति प्रेम को दर्शाते हुए उपहार दिए तथा हमेशा सुख दुख में साथ रहने तथा रक्षाबंधन धर्म को सदैव निभाने का वचन दिया। सवेरे से ही धर्मनगरी में रक्षाबंधन पर्व का उल्लास छाया रहा। बहनों ने व्रत रखकर पूजा अर्चना करने के बाद भाईयों को राखी बांधी। हालांकि कोविड 19 के खतरे के चलते दूर शहरों व राज्यों में रहने वाली अधिकांश बहने अपने भाईयों को राखी बांधने नहीं आ सकी। ऐसे में बहनों ने वाटसअप के जरिए अपनी शुभकामनाएं भाईयों तक पहुंचायी। कोरोना का असर त्यौहार पर देखने को मिला। बाजार खुले होने के बावजूद हमेशा रहने वाली त्यौहार की रौनक दिखाई नहीं दी। राज्य सरकार द्वारा रक्षाबंधन पर बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दिए जाने के बाद भी बस स्टैण्ड पर भीड़ नहीं दिखाई दी। समाजसेवी पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व भारतीय संस्कृति की विशेषताओं का दर्शाने वाला पर्व है। सभी भारतीय पर्व और परंपरांए किसी न किसी रूप में प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ी हुई है। रक्षाबंधन पर्व भी प्रकृति का संरक्षण करने का संदेश देता है। रक्षाबंधन के दिन भावपूर्वक बांधा जाने वाला धागा धन, सुरक्षा, शक्ति, हर्ष और विजय का प्रतीक भी है। प्रकृति और पर्यावरण हमारी सुरक्षा करते हैं। पेड़-पौधे हमें जीवन प्रदान करते हंै, प्राणवायु आॅक्सीजन देते हैं। ऐसे में सभी का कर्तव्य है कि पौधों का रोपण करें और उन्हें संरक्षण प्रदान करें। खुशी शर्मा, आर्यन शर्मा, अंकुर शर्मा, यश शर्मा, प्रियांशी, रासिका, अंश, अभिषेक आदि भाई बहनों ने उमंग के साथ रक्षाबंधन मनाया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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