हरिद्वार। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बड़ी संख्या में उपनिरीक्षकों का तबादला करते हुए कई चैकियों तथा थानों मंे नई तैनाती हकी है। एसएसपी के वाचक भी बदल गये है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार चैकी प्रभारी गैंस प्लांट दरोगा सतेन्द्र सिंह को थाना भगवानपुर भेजा है,जबकि भगवानपुर थानें में तैनात दरोगा प्रवीण रावत को गैस प्लांट का चैकी प्रभारी बनाया गया है। इसी तरह कोतवाली मंगलौर में तैनात दरोगा पुष्पेन्द्र को भगवानपुर के कालीनदी चैकी का प्रभारी बनाया गया है,जबकि काली नदी चैकी प्रभारी प्रदीप रावत को कोर्ट चैकी रोशनाबाद थाना सिडकुल भेजा गया है। चैकी बाजार कोतवाली मगलौर प्रभारी अमीर खान को बुग्गावाला के चैकी अमानतगढ़ का प्रभारी बनाया गया हेै।अमानत गढ चैकी प्रभारी नरेश गंगवार को लण्ढौरा चैकी का प्रभारी बनाया गया है। लण्ढौरा चैकी प्रभारी रणवीर चैहान को थाना भगवानपुर भेजा गया है। झबरेड़ा थाना में तैनात दरोगा मोहन कठैत को इकबालपुर चैकी का प्रभारी बनाया गया है। इकबालपुर चैकी प्रभारी को थाना झबरेड़ा भेजा गया है। चैकी कोर्ट प्रभारी दिलबर कण्डारी को खड़खड़ी चैकी का प्रभारी बनाया गया है।खड़खड़ी चैकी प्रभारी विजय प्रकाश को कोतवाली मंगलौर भेजा गया है। भगवानपुर थानें मे ंतैनात दरोगा शहजाद अली को चैकी बाजार मंगलौर का प्रभारी बनाया गया है। चैकी चण्डीघाट प्रभारी विजय सैेलानी को थाना पथरी भेजा गया है। पुलिस लाईन में तैनात दरोगा अमित भटट् को थाना सिडकुल व दरोगा प्रकाश चन्द्र को थाना पथरी भेजा गया है। अगले कुछ दिनों में उपनिरीक्षकों के कार्यभार में और बदलाव किये जाने की प्रबल संभावना है। दूसरी ओर निरीक्षक शंकर सिह विष्ट को एसएसपी का वाचक नियुक्त करते हुए हाईकोर्ट सैल के दायित्वों को भी सौंपा गया है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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