हरिद्वार। आम आदमी पार्टी की जिला अध्यक्ष हेमा भण्डारी ने प्रदेश सरकार के तीन साल के कार्यकाल को पूरी तरह विफल बताते हुए मुख्यमंत्री से पद से त्यागपत्र देने की मांग की है। माॅडन कालोनी स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए आप जिला अध्यक्ष हेमा भण्डारी ने कहा कि बड़े-बड़े नारों और वादों के साथ सत्ता में आयी बीजेपी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आँखें मूंदे बैठे हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की बात कहने वाली बीजेपी और उनके मुख्यमंत्री पर उन्हीं की पार्टी के विधायक भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर उंगली उठा रहे हैं। लोहाघाट के बीजेपी विधायक पूरन सिंह फर्त्याल मुख्यमंत्री के विभाग में भ्रष्टाचार के साथ साथ मुख्यमंत्री पर दोषियों को बचाने के आरोप लगा रहे हैं। प्रदेश में भ्रष्टाचार फलफूल रहा है। मुख्यमंत्री पर उनके अपने विधायक ही भरोसा नहीं जता पा रहे। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल पार्टी विधायकों के साथ दिल्ली में राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। हेमा भण्डारी ने कहा कि बीजेपी शासन में प्रदेश की जनता अपने आपको ठगा सा महसूस कर रही है। बेरोजगारी के चलते युवा वर्ग निराशा व हताशा का शिकार हो रहे हैं। सरकार के पास ना तो कोई नीति है ना विजन है। कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी प्रदेश की जनता को प्रभावी विकल्प उपलब्ध कराएगी तथा कांग्रेस व भाजपा के कुशासन से मुक्ति दिलाएगी।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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