हरिद्वार। महानगर व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सेठी ने हिल बाईपास के नाम पर बन रहे 3,50 करोड़ के प्रस्ताव पर उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इस वैकल्पिक मार्ग पर जब तक जनता को आवागमन की अनुमति वन विभाग नही देता तो इस मार्ग पर बार बार जनता के पैसे को क्यो लगाया जाता है। पहले इसे स्थायी रूप से खोलने की अनुमति वन विभाग से प्राप्त की जाए। उंसके पश्चात ही इस मार्ग पर पैसा लगाकर इस मार्ग को नई तकनीक के साथ तैयार किया जाए। पूर्व में भी इस मार्ग पर करोड़ो रूपये खर्च किये गए लेकिन जब हरिद्वार की जनता को इसकी जरूरत होती है। तब वन विभाग की अनुमति न होने की वजह से इस मार्ग को बन्द कर दिया जाता है। पूर्व के कई मेलो में हाइवे पर जाम होने के बावजूद इस मार्ग को नही खोला जाता। फिर इस मार्ग पर पैसा लगाने का कोई औचित्य नही। दूसरा पहलू आवागमन न होने की वजह से ओर बारिश के बाद इस मार्ग की स्तिथि खराब हो जानी भी स्वाभाविक है। जिससे सभी भली भांति परिचित है। इसलिये इस मार्ग पर पैसा लगाने का कोई औचित्य नही। इससे अच्छा इस बजट को उतरी हरिद्वार में अस्पताल निर्माण में लगाया जाना चाहिए। इस मार्ग पर पैसा तभी लगाया जाए जब इसका लाभ हरिद्वार की जनता को मिल सके।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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