हरिद्वार। पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार ने कहा कि हरियाणा और पंजाब के किसान सड़कों पर हैं। जो लोग कृषि क्षेत्र के लिए जारी किए गए अध्यादेशो को वापस करने की मांग कर रहे हैं। यह तीनों अध्यादेश किसान विरोधी तथा कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए जारी किए गए हैं। इन्हें सरकार तुरंत वापस ले क्योंकि कोई भी किसान ठेके पर अपनी जमीन देने के लिए राजी नहीं है। क्योंकि ठेके का मतलब ठेकेदार को अपनी भूमि सौंप देना है। इन अध्यादेशों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया है। मार्केटिंग व्यवस्था से अलग सबको किसान का उत्पाद खरीदने की छूट दे दी। आवश्यक वस्तु सेवा अधिनियम से सारे अनाजों को बाहर कर दिया है। इसका अर्थ होगा कि कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियां फसल पर सस्ता अनाज खरीद कर गोदाम भर लेगी और बाद में मुंह मांगे दामों पर बेचेगी। इसके फलस्वरूप सार्वजनिक वितरण प्रणाली भी समाप्त हो जाएगी। जिसका सीधा नुकसान गरीब और मध्यम वर्ग को होगा। आज भी किसान को गेहूं का समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। सरकारी खरीद नहीं हो रही है। मांग कम है अतएव किसान का शोषण हो रहा है। इन अध्यादेशो को कानून बनाकर लागू किया जाए तो भारत के किसान के लिए गुलामी का रास्ता खुल जाएगा। गरीब और मध्यम वर्ग सरकारी गल्ले की दुकान से सस्ता खाद्यान्न नहीं ले पाएंगे। एक तरफ सरकार कारखानों को निजी क्षेत्र को दे रही है। दूसरी तरफ खेती की जमीनों को भी निजी क्षेत्र को सौंपने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद देश में कॉर्पोरेट का ही शासन होगा। कृषि राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। अतः संघवाद को भी चोट पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का किसान विरोधी यह कदम निंदनीय है। इसे तत्काल वापस लिया जाए।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
Comments
Post a Comment