हरिद्वार। गंगा रक्षा के लिए तप कर रहे मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का पत्र मिलने के बाद तप को विराम दे दिया। इसमें मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया है। जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने ब्रह्मलीन पूर्व प्रोफेसर ज्ञान स्वरूप सानंद की गंगा रक्षा संबंधी मांगों को पूरा कराने के लिए तीन अगस्त से तप शुरू कर दिया था। तप के दौरान परमाध्यक्ष दिनभर में मात्र पांच गिलास जल ग्रहण कर रहे थे। बुधवार देर रात गंगा विचार मंच के प्रदेश सह संयोजक आशीष झा, मनोज शुक्ला और अंश मल्होत्रा केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के निर्देश पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र की ओर से भेजे गए पत्र को लेकर मातृसदन आश्रम पहुंचे। उन्होंने यह पत्र परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती को दिया। मातृसदन से जुड़े डॉ. विजय वर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के पत्र में सभी मांगों को चरणबद्ध तरीके से पूरा कराने का आश्वासन दिया गया है। गंगा विचार मंच के पदाधिकारियों की ओर से तप को विराम दिए जाने की मांग और पत्र में मांगें पूरी होने का आश्वासन मिलने का पत्र मिलने पर 31वें दिन स्वामी शिवानंद सरस्वती ने अपने तप को विराम दे दिया। डॉ. विजय वर्मा ने बताया कि मांगों को पूरा करने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक-एक कर सभी मांगें पूरी हो जाएंगी, क्योंकि उनकी भी लगातार जल शक्ति मंत्री से वार्ता चल रही थी। उधर, मातृसदन के ब्रह्मचारी संत आत्मबोधानंद ने बताया कि मातृसदन गंगा रक्षा को लेकर आंदोलन करता रहेगा। अगर जरूरत पड़ी तो फिर से तप शुरू किया जाएगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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