हरिद्वार। संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। महापुरूषों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। उक्त उद्गार भूपतवाला स्थित श्री विष्णु धाम आश्रम में महंत निर्मल दास महाराज ने ब्रह्मलीन म.म.स्वामी विष्णुदेव महाराज की पुण्य तिथी पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संपूर्ण मानवता को अंक, अक्षर, औषधी और आत्मा की नित्यता के साथ साथ प्रकृति परमात्मा के संबंधों का बोध प्रदान करने वाली कालजयी सनातन संस्कृति के उपासक ब्रह्मलीन म.म.स्वामी विष्णुदेव महाराज एक दिव्य महापुरूष थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के लिए समर्पित किया और देवभूमि से अनेकों सेवा प्रकल्प चलाकर राष्ट्र कल्याण में अपना अहम योगदान प्रदान किया। ऐसे महापुरूषों को संत समाज नमन करता है। महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि प्रेम, करूणा और उच्चतम जीवन मूल्यों की प्रेरणा देने वाले अलभ्य को सुलभ और असंभव को संभव बनाने की योग युक्ति के प्रदाता ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। जिनके बताए मार्ग का अनुसरण कर संत समाज भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म की पताका को विश्व भर में फहरा रहा है। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेव महाराज एक महान संत थे। इस अवसर पर महंत प्रेमदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत दामोदर शरण दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी वेदानंद, स्वामी दिव्यानंद, महंत दिनेश दास, महंत सूरज दास, स्वामी केशवानंद, महंत सुमित दास, महंत अरूण दास, महंत शिवानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत श्यामप्रकाश, स्वामी गंगादास उदासीन आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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