हरिद्वार। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा साक्षात भगवान श्री कृष्ण का दर्शन है। इसके हर एक शब्द में भगवान विराजते हैं। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। शरीर के अंदर दैवीय शक्ति का संचार होता है। भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित आॅनलाईन श्रीमद्भागवत कथा के चैथे दिवस पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीकृष्ण के जीवन को आदर्श बनाकर श्रद्धालु भक्त उसके अनुसार आचरण कर उसके पथ के पथिक बनें। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आने से ही मानव जीवन का कल्याण संभव है। निरंजनी अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरी महाराज ने कहा कि कथा श्रवण के माध्यम से अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट होे जाता है। व्यक्ति का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति का सोया हुआ ज्ञान वैराग्य जागृत हो जाता है। वैराग्य मानव को ज्ञानी बनाता है। जिससे मानव संसार में रहते हुए भी सांसरिक मोहमाया से दूर रहता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्री हरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण करने से करोड़ों पुण्य फल की प्राप्ति होती है। श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से ही प्राणिमात्र का कल्याण संभव है। इस अवसर पर श्रीमहंत सत्यानन्द गिरी, आचार्य मनीष जोशी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, स्वामी मोनू गिरी, महेश योगी, सुनील दत्त, नंदकिशोर आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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