हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा द्वारा उत्तराखण्ड के सभी पवित्र तीर्थो तथा चारो धाम की यात्रा हेतू निकाले जानी वाली पवित्र छड़ी यात्रा आज प्रातः8ः30 बजे पूर्ण विधि विधान के साथ हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी मायादेवी मन्दिर में पूजा अर्चना के पश्चात्् बागेश्वर के लिए रवाना हो गयी है। शनिवार की प्रातः जूना अखाड़े के वयोवृद्व तपस्वी संत पूर्व सभापति श्रीमहंत सोहन गिरि,छड़ी यात्रा के प्रमुख व अखाड़े के राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि,सचिव श्रीमहंत महेश पुरी,सचिव श्रीमहंत शेैलेन्द्र गिरि,कोठारी लाल भारती,कारोबारी महादेवा नंद गिरि,पुजारी परमानंद गिरि आदि के सानिध्य में उपजिलाधिकारी गोपाल सिंह चैहान,हरिद्वार नगर कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह,व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश कैशवानी,पार्षद विनीत जौली ने मायादेवी मन्दिर में पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की तथा शोभायात्रा के रूप में श्रीभैरव मन्दिर,भैरव घाट में पूजा अर्चना के पश्चात श्री दुखहरण मन्दिर हनुमान घाट प्राचीन जूना अखाड़ा घाट पहुचे। जहां पर मन्दिर के महंत उत्तम गिरि ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की तथा हनुमान जी चुनरी ओढाकर स्वागत किया। गंगा स्नान के पश्चात छड़ी को स्थानीय नागरिकों व गणमान्य लोगों ने बागेश्वर के लिए रवाना किया। बागेश्वर में पौराणिक बागनाथ महादेव के दर्शन तथा अन्य पवित्र मन्दिरों के दर्शनों के पश्चात गोमती तथा सरयू नदी के संगम में स्नान के पश्चात् 14सितम्बर को वापस मायादेवी मन्दिर हरिद्वार पहुचेगी। 15 सितम्बर को पवित्र छड़ी हर की पैड़ी पर गंगा सभा द्वारा आयोजित गंगा पूजन के पश्चात दक्ष प्रजापति मन्दिर में पूजा अर्चना व नगर भ्रमण का कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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