हरिद्वार। कोरोना काल में मंदी का सामना कर रहे व्यापारियों ने सरकार द्वारा व्यापारियों की मांगो को अनसुना किये जाने से नाराज होकर प्रदर्शन किया। प्रदेश व्यापार मण्डल के बैनर तले व्यापारियों ने ज्वालापुर हरिद्वार मुख्य मार्ग पर काले झण्डे लहराकर प्रदर्शन किया। इस दौरान जिला महामंत्री डा.विशाल गर्ग ने कहा कि कोरोना काल में केंद्र व प्रदेश सरकार व्यापारियों की पूरी तरह उपेक्षा कर रही है। व्यापारियों के बार बार मांग करने के बावजूद सरकारें कोई मदद करने को तैयार नहीं है। मंदी के चलते व्यापारी बिजली, पानी के बिल, हाऊस टैक्स, स्कूल फीस आदि माफ करने की मांग कर रहे हैं। बैंक लोन पर ब्याज माफी की मांग भी व्यापारी लगातार कर रहे हैं। लेकिन सरकार कुछ सुनने को तैयार नहीं है। डा.विशाल गर्ग ने आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य सरकार चेतना शून्य हो गयी हैं। बेहद विषम आर्थिक परिस्थितियों में भी सरकारें कोई मदद करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारों को राजस्व प्रदान कर देश की प्रगति में योगदान करने वाले व्यापारी वर्ग की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी है तो आम लोगों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार जल्द से जल्द बिजली, पानी के बिल, स्कूल फीस व ब्याज माफी कर राहत नहीं देती है तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। राम अरोड़ा और विवेक गर्ग ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते व्यापारी वर्ग मंदी के जाल में घिरता जा रहा है। मदद करने के बजाए सरकार व्यापारियों की मांगों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदर्शन करने वालों में विकास गर्ग, गौरव खन्ना, आशीष सपरा, सचिन अरोरा, संदीप कश्यप, बन्नी ठाकुर, मुकेश आदि व्यापारी प्रमुख रूप से शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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