हरिद्वार। बिहार,पूर्वी यूपी के लोगों का प्रमुख लोकपर्व छठ महोत्सव के दूसरे दिन गुरूवार को व्रती महिलाओं द्वारा खरना किया गया। खरना के दौरान विशेष चावल,गुड़ से बने खीर के अलावा विशेष तौर पर निर्मित गेहू के आटे से बनी रोटियाॅ का प्रसाद अर्पित किया जाता है फिर उसका व्रती महिलाओं द्वारा सेवन के बाद उसे प्रसाद स्वरूप सभी लोगों में वितरण होता है। इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण छठ महापर्व की रौनक भी फीकी रहने वाली है। जिला प्रशासन की ओर से जारी दिशा-निर्देश के बाद हर की पैड़ी सहित गंगनहर के घाटों पर आस्था का सैलाब नहीं उमड़ सकेगा और न ही छठी मैय्या के गीतों से घाट गूंज सकेंगे। प्रशासन द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार व्रती और उनके स्वजनों को सादगी और व्यक्तिगत रूप से ही छठ पूजन करना होगा। कोविड-19 महामारी ने इस वर्ष त्योहारों का मजा फीका कर दिया है। छठ पर्व पर भी कोरोना का असर देखने को मिल रहा है। हालांकि पूर्वांचलवासियों में छठ पर्व को लेकर उत्साह और श्रद्धाभाव में कोई कमी नहीं है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन ने नदियों एवं नहरों के किनारे जाकर छठ पूजन करने की अनुमति नहीं दी है। ऐसे में व्रती एवं उनके स्वजनों को घर पर ही व्यवस्था करके ढलते और उगते सूर्य को अर्घ्य देना होगा और उपासना करनी होगी। जिस वजह से शहर में गंगनहर के घाटों पर छठ पूजन के दौरान दिखने वाला आस्था का सैलाब नजर नहीं आएगा। गुरूवार को पूर्वाचल के लोगों से जुड़ी विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी से भेंटकर छठ के दृष्टिगत छूट देने का अनुरोध किया गया,लेकिन फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से कोविड़ 19 के तहत जारी नियमों का पालन करने में सहयोग का आहवान किया। जिला प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार ही छठ पूजन किया जाएगा।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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