हरिद्वार। तीर्थनगरी में गोपाष्टमी धूमधाम से गोमाता की पूजा के साथ मनाई गई। रविवार को जगह-जगह लोगों ने गोसेवा की और आश्रमों में गाय की विशेष पूजा की गई। इस मौके पर निरंजनी अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानन्द गिरी ने कहा कि गोमाता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। गोमाता की सेवा से सहस्त्रगुणा पुण्यफल की प्राप्ति होती है। बैरागी कैंप स्थित शंकराचार्य आश्रम में गोपाष्टमी पर गुड़ खिलाकर गोमाता के पूजन के दौरान उन्होंने भक्तों को संबोधित किया। सोमेश्वरानन्द गिरी ने कहा कि श्रद्धापूर्वक गोमाता की आराधना करने से जातकों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गोमाता का विशेष स्थान है। क्योंकि जैसे एक मां का हृदय कोमल होता है। उसी प्रकार गोमाता का हृदय भी कोमल होता है। इस दौरान स्वामी नंदकिशोर, स्वामी संगम गिरी, कोठारी महंत सेवानन्द आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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