हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बैरागी कैंप पहुंचकर तीनों बैरागी अखाड़ों के संतों से कुंभ मेला कार्यो को लेकर चर्चा की। चर्चा के दौरान श्रीपंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप की मेला भूमि को चिन्हित कर जल्द से जल्द बैरागी संतों के लिए आवंटित किया जाए। हालांकि उन्होंने कहा कि प्रशासन मेला रिकार्ड और परंपरांओं को जारी रखते हुए बैरागी अखाड़ों को लिखित रूप में जमीन आवंटित करे। बैरागी अखाड़ों के संतों द्वारा कोविड नियमों का पालन करते हुए ही कुंभ मेले के स्वरूप को प्रशासन के साथ समन्वय कर तय किया जाएगा और परिस्थिति के अनुसार ही संतों की संख्या पर भी विचार किया जाएगा। श्रीपंच निर्वाणी अणि अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप क्षेत्र प्राचीन काल से ही बैरागी संतों के लिए आरक्षित भूमि रही है। मेले का स्वरूप समय और परिस्थिति के अनुसार तय होगा। लेकिन प्रशासन को अपनी तैयारियां समय पर पूरी करनी चाहिए। क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कर बिजली, पानी, शौचालय, सड़क आदि का निर्माण समय से पूरा किया जाए। महंत गौरीशंकर दास व महंत रामशरण दास महाराज ने कहा कि मेला प्रारम्भ होने में बहुत कम समय शेष रह गया है। प्रशासन को युद्ध स्तर पर कार्य करने चाहिए। जिससे समय रहते सभी व्यवस्थाएं लागू हो सकें। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेले को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में बैरागी कैंप का मसला प्रमुखता से रखा जाएगा। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाएगा कि बैरागी संतों को किसी प्रकार की परेशानी ना हो। इस दौरान महंत कृष्णदास, महंत रामजीदास, योगीराज बाबा, महंत सिंटूदास, महंत अगस्तदास आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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