हरिद्वार। चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरूआत बुधवार को नहाय-खाय के साथ ही हो गयी। व्रती महिलाओं के द्वारा बुधवार को स्नान के बाद ही भोजन ग्रहण किया जायेगा। लोक आस्था के इस महापर्व में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं अस्ताचल एव अरूणोदयगामी सूर्य को अध्र्य देकर सुख समृद्वि की कामना करती है। छठ महापर्व के लिए गंगा घाटों के समतलीकरण के साथ ही छठ की वेदी तैयार की जा रही है। इस बार गुरूवार को खरना,शुक्रवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य देने के अलावा शनिवार को अरूणोदयगामी सूर्य को अध्र्य देकर महापर्व का समापन होगा। हलांकि इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए पूर्वांचल जन जागृति संस्था की ओर से न ही कलश यात्रा निकाली जाएगी और न ही सामूहिक आयोजन ही होगा। पूर्वांचल समाज छठ महोत्सव को हर्षोल्लास और उत्साह के साथ प्रतिवर्ष मनाता चला आ रहा है। इस साल महोत्सव का बुधवार को नहाय- खाय से हो गया। छठ व्रती महिलाएं गंगा स्नान के बाद सात्विक भोजन करने के साथ ही छठ संकल्प ले लिया। कल यानि गुरूवार 19 नवंबर को खरना होगा। व्रती पूरे दिन निराहार व्रत का पालन करते हुए सायं गुड़ से बना मीठा चावल (रसिया) और मिट्टी के चूल्हे पर पूड़ी बनाकर पहले छठी मईया का पूजन करेंगी। इसके बाद कन्या और गाय को अर्पण कर प्रसाद रूप में ग्रहण करेंगी। उसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होगा। 20 नवंबर को नाना प्रकार के पकवान और मौसमी फलों के साथ छठ व्रती गंगा किनारे अस्त होते भगवान भास्कर को गंगा के जल में खड़े होकर गाय के दूध से बना अर्घ्य देंगी। 21 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महोत्सव का समापन करेंगी। पंचपर्व बाद पूर्वांचल की महिलाओं में छठ पूजन को हर्ष का माहौल है। महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना को लेकर पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। अपने परिवारजनों की दीर्घायु की कामना करती हैं। सूर्य उपासना का यह महापर्व बिहार के अलावा उप्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत देश विदेश में जहां भी पूर्वांचल, बिहार के व्यक्ति निवास करते हैं वहां पूर्ण आस्था के साथ मनाया जाता है। छठ व्रतियों ने खरीदारी शुरू कर दी है। भेल सेक्टर एक स्थित पैठ बाजार में व्रतियों और उनके स्वजनों ने सूप, डाला, दऊरा आदि की खरीदारी की। व्रती इसमें नाना प्रकार के मौसमी फल, देशी घी से बने पकवान के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
Comments
Post a Comment