हरिद्वार। जिला प्रशासन की ओर से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के दृष्टिगत कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर रोक लगाये जाने के बाद पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओं की आवाजाही रोकने के लिए कमर कस ली है। तीर्थयात्रियों के लिए 29 और 30 नवंबर को जनपद की सीमाएं सील रहेंगी। हरकी पैड़ी की नाकेबंदी कर पीएसी तैनात की जाएगी। इसके बावजूद कोई बाहरी श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बढने का हवाला देते हुए 30 नवंबर को होने वाला कार्तिक पूर्णिमा स्नान स्थगित कर दिया गया है। पुलिस का ध्यान इस बात पर है कि दूसरे राज्यों से कोई श्रद्धालु जनपद की सीमा में प्रवेश न कर पाए। इसके लिए 29 और 30 नवंबर को सीमाएं सील कर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा। वहीं, हरकी पैड़ी क्षेत्र में भी एहतियात बरती जाएगी। एक दिन पहले ही गंगा घाटों की बैरिकेडिंग कर पीएसी के जवान तैनात कर दिए जाएंगे। शहर कोतवाल अमरजीत सिंह ने बताया कि स्नान पर रोक के चलते हरकी पैड़ी क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा। इसके लिए दो प्लाटून पीएसी और कुछ अन्य फोर्स की मांग की गई है। बताते चले कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दृष्टिगत जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर रोक लगाते हुए कहा है कि दिल्ली के साथ ही दूसरे राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण का फैलाव तेजी से हो रहा है। ऐसे में जिले में कोविड-19 संक्रमण फैलने से रोकने के लिए भीड़ को रोकना भी जरूरी है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर रोक लगाई गई है। जैसा कि ज्ञात है कार्तिक पूर्णिमा स्नान और गुरुनानक देव जयंती पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते हैं।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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