हरिद्वार। श्रीपंचदशनाम आनंद भैरव अखाड़ा में अखिल महामण्डलेश्वर शंकरानंद सरस्वती के सानिध्य में ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर साध्वी राधिकानंद सरस्वती की स्मृति में श्रद्वांजलि समारोह का आयोजन किया गया। जूना अखाड़े की महामण्डलेश्वर साध्वी राधिकानंद सरस्वती का विगत दिनों मोटूंगा मुम्बई स्थित श्रीज्ञानेश्वरमठ में निधन हो गया था। महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेवरानंद गिरि महाराज की अध्यक्षता में तथा जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज व महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रहमचारी के सयुक्त संचालन में आयोजित समारोह को देश की महान आध्यात्मिक विभूतियों तुलसी मानस मन्दिर के अध्ष्ठिाता महामण्डलेश्वर डाॅ.साधनानंद सरस्वती महाराज,राष्टीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी व कई अन्य प्रतिष्ठित धर्माचार्यो ने भावमीनी श्रद्वांजलि अर्पित की। श्री ज्ञानेश्वर मठ के परमाध्यक्ष महामण्डलेंश्वर स्वामी शिवानंद सरस्वती ने श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए कहा ब्रहमलीन महामण्डलेश्वर साध्वी राधिकानंद सरस्वती मानस,गीता तथा वेदों की प्रकाण्ड विद्वान थी। पिछले 40वषांे से वह श्रीज्ञानेश्वर मठ में रहकर साधना करते हुए देश विदेश में भारतीय सन्यास संस्कृति की परम्परा को उच्च शिखरों तक ले जाने में कार्यरत रही। इसके साथ साथ सामाजिक कार्यो,दीन दुखियों की सेवा में भी वह पूर्ण निष्ठा व समर्पण की भावना से जुटी थी। महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रहमचारी ने कहा ब्रहमलीन म.म. साध्वी राधिकानंद सरस्वती संत परम्परा का पर्याय थी। एक परम संत में जो विशेषताएं होनी चाहिए,वह सभी उनमें थी। इनके ब्रहमलीन हो जाने से संत समाज को को अपूरणीय क्षति पहुची है। अखाड़े के राष्टीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा म.म. साध्वी राधिकानंद गिरि तथा जूना अखाड़े के प्रति पूर्ण से समर्पित थी। जूना अखाड़े की प्रगति व विकास के लिए उनका योगदान भुलाया नही जा सकता। निश्चित रूप से उनका अवसान अखाड़े के साथ साथ संत समाज के लिए कभी भी भरा जा सकने वाला शून्य है। श्रद्वांजलि समारोह में महामण्डलेश्वर स्वामी आत्मानंद सरस्वती ,भारत माता मन्दिर के श्रीमहंत ललितानंद गिरि,श्रीमहंत विनोद गिरि,श्रीमहंत शिवशंकर गिरि,श्रीमहंत विष्णुदास महाराज,थानापति नीलकंठ गिरि,कोठारी महंत लालभारती,कोरोबारी महंत महादेवानंद गिरि,पुजारी व थानापति परमानंदगिरि,थानापति रणधीर गिरि,थानापति विवेकपुरी सहित सैकड़ो श्रद्वालुओं व भक्त मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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