हरिद्वार। कोतवाली ज्वालापुर क्षेत्र में एक आचार्य ने लाइसेंसी रिवाल्वर से अपने सिर में गोली मारकर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने मौके से रिवाल्वर, तीन जिंदा कारतूस और एक खोखा व चली हुई बुलेट बरामद कर ली है। मौके से मिले सुसाइड नोट में पुजारी ने लिखा है कि जीवन जीने की इच्छा खत्म होने के कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं। फिलहाल, पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक विनीत शास्त्री वाशिंकर निवासी शरद विहार कॉलोनी निकट अवधूत मंडल आश्रम में पूजा पाठ का काम करते थे। वह हरिद्वार से बाहर दूसरे शहरों में जाकर भी पूजा-पाठ संपन्न कराते थे। रविवार की शाम विनीत शास्त्री ने अपने कमरे में जाकर रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। आवाज सुनकर उनकी मां और परिवार के बाकी सदस्य दौड़कर कमरे में पहुंचे तो देखा कि विनीत शास्त्री खून से लथपथ फर्श पर पड़े हुए थे। आनन-फानन में उन्हें रानीपुर मोड़ पर एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुजारी की खुदकुशी की सूचना पर ज्वालापुर कोतवाल प्रवीण सिंह कोश्यारी मौके पर पहुंचे और रिवाल्वर कब्जे में ले ली। मौके से तीन कारतूस और एक खाली खोखा भी बरामद हुआ। कमरे की तलाशी लेने पर एक सुसाइड नोट भी पुलिस को मिला है, जिसमें पुजारी ने लिखा है कि जीवन जीने की इच्छा खत्म हो गई है, जिस कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं। कोतवाल प्रवीण सिंह कोश्यारी ने बताया कि पुजारी का परिवार मूलरूप से महाराष्ट्र का निवासी है। 10 साल पहले उनके पिता हरिद्वार आकर बस गए थे। पुजारी अविवाहित थे और हरिद्वार में अपनी मां के साथ रहते थे, जबकि उनके दो भाई दूसरे शहर में काम करते हैं। कोतवाल कोश्यारी ने बताया कि सुसाइड नोट के आधार पर मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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