हरिद्वार। आइबी अधिकारी बनकर कनखल के एक व्यक्ति से 14 लाख रुपये की धोखाधड़ी के मामले में न्यायालय के आदेश पर कनखल थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि पहले जमीन का झांसा दिया गया और फिर आनलाइन गेम के जाल में फंसाकर रकम हड़प ली गई। कनखल पुलिस के मुताबिक कनखल की राज विहार फेस 3 कॉलोनी निवासी मदन प्रसाद की घर के पास ही फोटो स्टेट की दुकान है। पीड़ित मदन ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि पड़ोस में लड्डू बनाने वाला नरपाल बीते अक्टूबर 2019 में उसकी दुकान पर आया। नरपाल ने बताया कि उसके कुछ परिचितों को जमीन खरीदनी है। मदन प्रसाद ने प्रॉपर्टी का काम करने वाले अपने भाई से मिलवाने के लिए नरपाल के परिचितों को बुलवा लिया। तीनों व्यक्तियों में अमित निवासी धामपुर बिजनौर ने खुद को आइबी का अधिकारी बताया। उसका कहना था कि बिजनौर में एक सेठ को अपनी महिला मित्र के लिए जमीन खरीदनी है। तय हुआ कि सेठ को रकम बढ़ाकर बताई जाएगी। ऊपर के पैसे आपस में बांट लिए जाएंगे। झांसा देकर अमित व नरपाल ने मदन प्रसाद को धामपुर व नजीबाबाद बुलाया। वहां एक व्यक्ति को सेठ और दूसरे व्यक्ति को उसका पीए बताकर मिलवाया गया। आरोप है कि आनलाइन गेम में सट्टा लगवाने के झांसा देकर मदन से रकम लगवा ली गई। इसके बाद आरोपित गायब हो गए। मामले में न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने खुद को आइबी अधिकारी बताने वाले अमित कुमार निवासी धामपुर बिजनौर, नरपाल निवासी औरंगाबाद गैंडीखाता श्यामपुर, संजय निवासी नजीबाबाद, जितेंद्र निवासी धामपुर बिजनौर समेत नोएडा गौतमबुद्धनगर के दो व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया। कार्यवाहक थानाध्यक्ष चंद्रमोहन सिंह के अनुसार न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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