हरिद्वार। एमडीएच मसाले के फाउंडर और आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष महाशय धर्मपाल गुलाटी के निधन की खबर से गुरुकुल कांगड़ी विवि में शोक की लहर दौड़ गयी। कुलपति सहित विवि के तमाम स्टाफ ने शोक सभा का आयोजन कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो.रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि आखिरी बार महाशय धर्मपाल बीते साल 6 दिसंबर को गुरुकुल आये थे। उनके हाथों से ही विवि के वेद भवन की आधारशिला रखी गई थी। इस भवन के उद्घाटन के लिए भी महाशय ने स्वयं आने के लिए आश्वस्त किया था लेकिन एकाएक उनके जाने से हर कोई स्तब्ध है। भले वे आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली के अध्यक्ष और केंद्रीय आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान रहे हों लेकिन उनका हरिद्वार से विशेष लगाव रहा। समय-समय पर वे गुरुकुल आते रहे और इसे आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करते रहे। उद्योगपति होने के साथ वे सनातन धर्म प्रचार में शुरू से ही आगे रहे। उनका जाना न केवल गुरुकुल कांगड़ी विवि बल्कि पूरे आर्य समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। कुलसचिव प्रो दिनेश चंद भट्ट ने कहा कि महाशय धर्मपाल ने शिक्षा को आगे बढ़ाने और जन-जन तक पहुंचाने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केरल के कोचिकोट में उन्होंने एक बड़े शिक्षण संतान की शुरुआत की जिसका लाभ आज न केवल आस पास के मेधावी छात्र बल्कि देश के छात्र भी उठा रहे हैं। उनका ऐसे चला जाना सभी को स्तब्ध करने वाला है। श्रधांजलि सभा में प्रो. श्रवण शर्मा, प्रो. मुकेश रंजन वर्मा, प्रो. सतेंद्र राजपूत, प्रो. पंकज मदान, प्रो. वीके सिंह, प्रो. प्रभात सेंगर, डॉ. गौरव भिंडर, प्रो. आरसी दूबे, प्रो. नमिता बिष्ट, दुष्यंत राणा, नागेंद्र राणा, चरणजीत सिंह, समीर राणा, डॉ बीरेंद्र कौर, प्रो. आरडी कौशिक, प्रो. बीड़ी जोशी, दीपक वर्मा, बिजेंद्र सिंह, कमल सिंह नेगी सहित काफी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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