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निर्मल भेख से जुड़े संतों ने लगाया अखाड़े की संपत्ति खुर्द बुर्द करने का आरोप

प्रशासन से मांग श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह को अध्यक्ष पद से हटाये,हड़ताल की चेतावनी

 हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा निर्मला रजि. की ओर से एक दर्जन से अधिक संतो ने जिलाधिकारी को पत्र देकर महंत ज्ञानदेव सिंह पर कुछ लालची/फर्जी महंतो के साथ पंचायती अखाड़े में गलत और अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाते हुएकारवाई की मांग की है। संतो ने श्रीनिर्मल पंचायती अखाड़ा के इमारत को खाली कराने तथा कुम्भ मेला निधि से मिलने वाले एक करोड़ की राशि को रोकने की मंाग की है। ऐसा नही होने पर 15 दिन बाद हरिद्वार पहुचकर हड़ताल करेंगे और स्वयं महंतो को निकालने की कारवाई करेंगे। पत्र में निर्मल भेख से जुड़े संतों ने निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह पर अखाड़े की संपत्ति को खुर्दबुर्द करने का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रशासन से श्रीमहंत ज्ञानदेव को अखाड़े के अध्यक्ष पद से हटाने की माँग के साथ ही कुम्भ मेला निधि से निर्मल अखाड़े को मिलने वाली ग्रांट रोकने की माँग भी की है। बाद में गुरूवार को प्रेस वलब में पत्रकारों से वार्ता के दौरान संत श्यामसुन्दर सिंह शास्त्री, संत जसपाल मुनि, महंत संतोख सिंह, महंत जगतार सिंह, श्रीमहंत रेशम सिंह, महंत बलहोर सिंह, महंत प्रेमसिंह, महंत चमकोर सिंह आदि ने कहा कि तीन साल पहले ज्ञानदेव सिंह अखाड़े के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया गया था। लेकिन वे अवैध रूप से अखाड़े अध्यक्ष पर कब्जा किये बैठे है। इस दौरान उन्होंने अखाड़े की कई संपत्तियों को खुर्द बुर्द कर दिया है। उन्होंने प्रशासन से माँग की है कि प्रशासन उन्हें अध्यक्ष पद से हटाए और उनके खिलाफ जाँच कर कार्रवाई करे। जब प्रशासन उन्हें अध्यक्ष पद से हटा देगा तो अखाड़ा परिषद खुद उन्हें नही पूछेगा। संतों ने यह भी कहा कि अखाड़ा परिषद का गठन केवल कुम्भ मेले की व्यवस्था के लिए हुआ है। प्रैसवार्ता के दौरान संतों ने कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी। संतों ने कहा कि श्री पंचायती अखाड़ा  निर्मल संप्रदाय की सांझी संपत्ति है। लेकिन अखाड़े पर अवैध रूप से काबिज संत अखाड़े की संपत्ति को खुर्द बुर्द कर रहे हैं। पैसे का कोई हिसाब किताब नहीं दिया जा रहा है। इसलिए कुंभ निधि से दी जा रही ग्रांट पर रोक लगायी जाए। ग्रांट जारी करने से पहले प्रशासन पूरे मामले की निष्पक्ष रूप से जांच करे। जांच में जो पक्ष सही पाया जाए उसे अधिकार दिया जाए।

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