हरिद्वार। कुम्भ मेले की तैयारियों के बीच श्रीनिरंजनी अखाडा पंचायती के आचार्य महामंडलेश्वर पद को लेकर जारी विवाद अपने चरम पर है। पिछले दिनों अखाड़ा द्वारा अग्नि अखाड़ंे के महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद को आचार्य महामण्डलेश्वर नियुक्त करने की घोषणा करते हुए 14जनवरी को उनका पटट्ाभिषेक करने की घोषणा कर दी। अखाड़े की घोषणा के अगले दिन स्वामी प्रज्ञानानंद ने स्वयं को अखाड़ा के आचार्य महामण्डलेश्वर पद पर होने का दावा करते हुए मामले को लेकर संतो के बीच जाने के अलावा कोर्ट जाने की बात कर रहे है। मामले में खास बात यह है कि श्रीनिरंजनी अखाड़ा द्वारा पहले तो आचार्य बनाने की बात को खारिज करने लगे,लेकिन रविवार को जब प्रज्ञानानंद ने आचार्य होने के सम्बन्ध में अखाड़ा द्वारा किये गये पटट्ाभिषेक सम्बन्धी कुछ फोटो और कागजात दिखाते हुए कोर्ट जाने की बात कही तो अगले दिन यानि सोमवार को निरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि और सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने उनको अखाड़ा से निष्कासित किये जाने का ऐलान कर दिया। इस मामले में रोचक बात यह कि निरजनी अखाड़ा के ये दोनो पदाधिकारी पहले स्वामी प्रज्ञानानंद के अखाड़े का आचार्य होने के दावे को ही खारिज करते रहे और अखाड़े में एक अचार्य महामण्डलेश्वर होने के बाद भी दूसरे महामण्डलेश्वर को आचार्य बनाने की घोषणा कर दी है। श्री निरंजनी अखाड़ा पंचायती के आचार्य पद को पिछले कई दिनों से चल रहा विवाद में सोमवार को नया मोड़ तब आ गया जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि आज के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद का अखाड़े से कोई संबंध नही। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रज्ञानानंद ने अखाड़े की मर्यादा को भंग किया है जिस कारण उन्हें अखाड़े की सर्वसम्मति से अखाड़े स बाहर किया जाता है। वही दूसरी ओर निरंजनी अखाड़े से निष्कासित किये जाने के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद ने पत्रकारों से कहा कि निरंजनी द्वारा निष्कासन किये जाने का मतलब है कि मैं आचार्य रहा हु। बिना कोई आरोप लगाए और ना मेरे पद से हटे ही एक नए आचार्य की नियुक्ति उनकी मंशा दर्शाता है। मैं इसके खिलाफ कोर्ट जाऊंगा। पंचों को आचार्य बनाने का हक, हटाने का नही। कहा कि उनका एक मात्र न्याय पाने का रास्ता न्यायालय है। इस मामले में उनके वकील न्यायालय की प्रकिया में लगे हुए है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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