चंद्रचार्य चैक से मूर्ति हटाने पर भड़का संत समाज अपर मेलाधिकारी के आश्वासन के बाद शांत हुये नाराज संत
हरिद्वार। शहर केे मध्य स्थित चन्द्राचार्य चैक यानि रानीपुर मोड़ स्थित पर पिछले कई वर्षो से स्थापित श्रीचन्द्रभगवान की मूर्ति को प्रशासन द्वारा हटाये जाने से नाराज संतो ने जमकर हंगामा करते हुए नाराजगी जताई। धर्मनगरी हरिद्वार में श्रीचंद्र भगवान की मूर्ति हटाने से संत समाज आक्रोशित हो गया है। रानीपुर मोड़ स्थित श्री चंद्राचार्य चैक पर भगवान श्रीचंद्र की मूर्ति स्थापित थी। बीती रात हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण द्वारा सौन्दरियकरण के लिए मूर्ति को हटा दिया गया। जिससे संत समाज आक्रोशित हो गया। मौके पर बड़ी संख्या में अखाड़ो से जुड़े संत जुटने लगे और धरने पर बैठ गये। संत समाज के धरने से प्रशासन के हाथ पाँव फूल गए। आनन फानन में एचआरडीए सचिव व अपर कुम्भ मेलाधिकारी हरवीर सिंह मौके पर पहुंचे और संतों को मनाने का प्रयास किया। लेकिन संतो ने उनकी बात को मानने से इनकार कर दिया। संत समाज शाम तक मूर्ति को पुनः स्थापित करने की मांग पर अड़े रहे। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज व पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि उदासीनाचार्य श्रीचंद्र भगवान उदासीन संप्रदाय के प्रर्वतक व आराध्य हैं। प्रशासन को मूर्ति हटाने से पहले अखाड़े को विश्वास में लेना चाहिए था। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा व वहां से दूसरी जगह स्थापित करने पर पूजा अर्चना की जाती है। पूजा अर्चना के बाद ही मूर्ति को हटाया जाता है। प्रशासन यदि अखाड़े को विश्वास में लेता तो संत महापुरूष स्वयं पूजा अर्चना कर सम्मानपूर्वक मूर्ति को हटाते लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मूर्ति हटाने में प्रशासन ने जो तरीका अपनाया है। वह धार्मिक परंपरांओं व मान्यताओं का उल्लंघन है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के अध्यक्ष श्रीमहंत महेश्वर दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र की मूर्ति को चैक पर पुनः स्थापित किया जाए और यदि ऐसा नहीं होता तो वह आत्मदाह कर लेंगे। संतों का कहना है कि इसके लिए वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे केवल अपने आप को पीड़ा पहुंचाने का काम करेंगे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने बड़ा अखाड़ा के श्री इष्ट देव श्री चंद्र भगवान की मूर्ति हटने पर प्रशासन से नाराजगी जताई। अगर आपको वहां कुछ करना था पहले आपको अखाडे के पदाधिकारियों से अनुमति लेते जो उनसे अनुमति लेने के बाद मूर्ति पूजा अर्चना करने के बाद उसको हटाने की प्रकिया पूरी करते। लेकिन ये तो ऐसा लगता है ये जो अधिकारी पूरे निष्क्रिय हो गए हैं किसी लगाम पर नही है। कम से एक हटाने से पहले अधिकारी को अखाडे से बात करनी चाहिए थी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद इसका पूरा विरोध करेगा। वहीं एचआरडीए के सचिव हरवीर सिंह ने बताया कि सभी चैराहों के सौंदर्यीकरण का काम चल रहा था और सौंदर्यीकरण के लिए ही इस मूर्ति को हटाया गया। लेकिन वह खेद व्यक्त करते हैं कि उन्होंने इससे पहले साधु संतों को विश्वास में नहीं लिया। वही उन्होंने संतो को आश्वासन दिया कि मूर्ति को पुनः स्थापित किया जाएगा। लेकिन उनके आश्वासन पर भी संत नही माने और चैक पर ही धरना देकर बैठक गए। बाद में अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह के संतों के समक्ष क्षमा याचना करने और एक महीने में चैक का सौंन्दर्यकरण कर मूर्ति स्थापित करने के आश्वासन पर संतों ने धरना समाप्त किया। इस दौरान श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के मुखिया महंत दुर्गादास महाराज, म.म.स्वामी हरिचेतनानंद, कोठारी महंत दामोदरदास, श्रीमहंत महेश्वर दास, महन्त कामलदास महाराज, स्वामी संतोषानंद, महंत रूपेंद्र प्रकाश, महंत प्रेमदास, महंत मोहनसिंह, महंत निर्मलदास, महंत दर्शनदास, महंत निरंजनदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत विष्णुदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, संत जगजीत सिंह, स्वामी हरिहरानंद, महंत दुर्गादास, महंत प्रमोद दास, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी कपिल मुनि, विधायक स्वामी यतीश्वरानंद, भाजपा नेता डा.विशाल गर्ग शामिल रहे।
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