हरिद्वार। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की आलौकिक पहचान कुंभ मेला सनातन संस्कृति का शिखर उत्सव है। जिसमें समस्त देवी देवताओं का वास होता है। भूपतवाला स्थित हरीधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला अतुलनीय है। सनातन धर्म और कुंभ एक दूसरे के पूरक हैं। इनका आपसी संयोग धार्मिक आस्था विश्वास की पराकाष्ठा है। सभी कुंभ में हरिद्वार को कुंभ का अपना अलग स्थान और महत्व है। कुंभ मेला देवताओं को भी उतना ही प्रिय है। जितना कि मानव जाति को प्रिय है। कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा के पवित्र जल में स्नान मात्र से ही व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन और सनातन धर्म के सबसे बड़े पर्व कुंभ मेले में देश विदेश से करोड़ों श्रद्धालु भक्त आगमन कर अपने जीवन को सफल बनाते हैं। गंगा स्नान व संत दर्शन से उनमें सकारात्मक ऊर्जा का समावेश होता है और यही धारणा समाज एवं श्रद्धालुओं में धर्म और आस्था का निर्माण करती है। आचार्य मनीष जोशी ने कहा कि कुंभ मेले का आयोजन समस्त देवी देवताओं के आशीर्वाद से होता है। इसलिए इसका विशेष महत्व है। कुंभ मेले के दौरान जो श्रद्धालु भक्त मां गंगा का आचमन मात्र कर लेता है। उसके जीवन के समस्त पापों का शमन होता है और वह सुख समृद्धि को प्राप्त करता है। इस अवसर पर स्वामी सत्यानंद गिरी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, स्वामी गिरजानंद सरस्वती, सुनील दत्त, नंद किशोर शर्मा आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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