हरिद्वार। भोजन माताओं ने विभिन्न माॅगों के समर्थन में पैदल मार्च निकाल कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। विभिन्न संगठनों ने भोजन माताओं के साथ न्यूनतम वेतन और स्थाई रोजगार देने के साथ ही शासनादेश रदद् करने की मांग को लेकर राज्य सरकार का पुतला दहन किया। प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले रविवार को भोजन माताओं ने भगत सिंह चैक से सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक पैदल मार्च निकाला। इसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर राज्य सरकार का पुतला दहन कर रोष व्यक्त किया। संगठन की हरिद्वार जिला संयोजक दीपा ने कहा कि 18, 20 सालों से भोजन माताओं को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है। आज की आसमान छूती महंगाई में मात्र दो हजार प्रतिमाह मिल रहे हैं। जिस वजह से भोजन माताओं को संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसे बढ़ाकर स्थाई करना तो दूर उत्तराखंड सरकार इन्हें निकालने का अमानवीय शासनादेश ला रही है। इसका पूरे राज्य में विरोध किया जा रहा है। मजदूर ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष राज किशोर ने कहा कि सरकार सरकारी विभाग में न्यूनतम वेतन न देकर सरकार खुद ही श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रही है। इंकलाबी मजदूर ट्रेड यूनियन के पंकज कुमार ने कहा कि उत्तराखंड में 2700 भोजन माताएं हैं, इनको स्थाई करने के स्थान पर इन्हें निकालने का जीओ पास कराया जा रहा है। जिसकी घोर भत्सर्ना की जानी चाहिए। श्रमिक यूनियन आईसीसी के अध्यक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि भोजन माताओं की न्याय पूर्ण मांग जल्द हल की जानी चाहिए। शिशुपाल सिंह रावत ने कहा कि भोजन माताओं के लिए अमानवीय शासनादेश का पूर्ण विरोध किया जाएगा। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के संयोजक नासिर अहमद ने कहा कि भोजन माताओं का बोनस व ड्रेस का पैसा अभी तक स्कूलों में नहीं मिला है कई स्कूलों से भोजन माताओं को निकाला जा रहा है। यह सरकार का महिला विरोधी रूप है। सत्य ऑटो के महिपाल सिंह ने कहा कि भोजन माताओं के साथ पूरे सिडकुल के मजदूर हैं। प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की निशा ने कहा कि भोजन माताओं के साथ हो रहे इस व्यवहार के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ेंगे। इस दौरान रंजना, गीता देवी, सुरेशरना, हेमा, जानकी देवी, नूरजहां, सुमन, ओमवती, रेखा, शहीदा, विमला, सीमा, पूनम, कविता, हसीना, संगीता, अफसाना, सुदेश, सोमती, माया, लीला देवी, रचना, पुष्पा, सुंदरी, सुमकेश, भवति, अनीता, राखी, दीपा चैहान आदि शामिल रही।
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