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हरिद्वार कुंभ को लेकर अधिकारियों में आत्मबल की कमी दिख रही है-श्रीमहंत नरेन्द्र गिरी

 

हरिद्वार। कुंभ मेला 2021 के लिए हो रही तैयारियांे में ढीली व्यवस्थाओं से नाराज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा है कि माघी पूर्णिमा स्नान से पहले इस मुद्दे पर बड़ी बैठक करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार कुंभ को लेकर अभी तक मूलभूत व्यवस्थाएं भी नहीं की गई हैं। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि हरिद्वार कुंभ को लेकर अधिकारियों में आत्मबल की कमी नजर आ रही है। ऐसा लग रहा है कि वह कोरोना संक्रमण की आड़ में कुंभ कराने को तत्पर नहीं हैं। बैरागी कैंप क्षेत्र में बिजली पानी और सड़क जैसी सुविधा भी नहीं जुटाई गई है और न ही अतिक्रमण हटवाया गया है। उन्होंने साफ किया कि अखाड़ा परिषद में दो फाड़ नहीं हुए हैं और सभी अखाड़े एक साथ हैं। तीनों बैरागी अणि भी अखाड़ा परिषद के साथ हैं।  उन्होंने हरिद्वार कुंभ को लेकर क्रेंद्र सरकार की जारी एसओपी पर भी नाराजगी जताई। कहा कि जब कुंभ में कथा प्रवचन नहीं होंगे तो फिर कुंभ कैसा। उन्होंने अखाड़ा परिषद के साथ बैठक कर एसओपी में बदलाव की मांग की है। शनिवार को मीडिया पर जारी अपने वीडियो बयान में श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने सभी तीनों बैरागी अणियों के अखाड़ा परिषद से अलग होने की घोषणा पर कहा कि अखाड़ा परिषद से अलग होने का निर्णय लेने का अधिकार अखाड़ों के उन प्रतिनिधियों को होता है, जो अखाड़ा परिषद के सदस्य होते हैं। अखाड़ों के साधु या उनके प्रतिनिधियों को ये निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि तीनों बैरागी अणियों के अध्यक्ष से उनकी बात हो गई है और वह उनके साथ अखाड़ा परिषद में रहने की बात कर रहे हैं।  बैरागी अखाड़ों की नाराजगी को जायज बताते हुए श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि बैरागी अखाड़ों के लिए कुंभ के निमित्त कोई भी कार्य मेला अधिष्ठान की ओर से अब तक नहीं कराया गया है, जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने काफी पहले ही इस के आदेश दे दिए थे। उन्होंने दावा किया कि हरिद्वार कुंभ के निमित्त बैरागी अखाड़ों के कार्यों को कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से आवंटित धनराशि तीन से चार दिनों में अखाड़ों के खातों में पहुंच जाएगी। इसे लेकर उनकी मुख्यमंत्री से वार्ता हो गई है। कुंभ के आयोजन को लेकर केंद्र सरकार के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी पर बोलते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने अपनी नाराजगी व्यक्त करिए और कहा है की इस तरह का निर्णय अखाड़ा परिषद के साथ बैठक करने के बाद ही लिया जाना चाहिए था उन्होंने कहा कि शायद अधिकारियों में कोरोना के कारण कुंभ कराने की इच्छा शक्ति ही नहीं है जिस कारण वे इस तरह के निर्णय ले रहे हैं। 


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