हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि एसएमजेएन पीजी कॉलेज में बनाई जा रही अखाड़े की छावनी के सभी तंबू भगवा और पीले रंग में रंगे नजर आएंगे। इससे छावनी की अलग ही भव्यता दिखेगी। एसएमजेएन पीजी कॉलेज के मैदान में बनाई जा रही छावनी का पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी और आनंद अखाड़ा के संतो ने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि छावनी में बने सभी टैंट (तंबू) पीला और भगवा में नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि छावनी में ठहरने वाले सभी संतो के साथ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए चिकित्सकों की एक टीम यहां तैनात की जाए। उन्होंने मेला प्रशासन से इसकी मांग की। कहा कि मुख्य मेले में हर जगह से साधु संतों का आगमन होना है। उन्होंने बताया कि हमारे अखाड़े की प्राचीन से परंपरा चली आ रही है कि कुंभ मेले के दौरान श्रीमहंत और उप महंत कुंभ पक्के मकानों में नहीं ठहरते हैं। छावनी में बने तंबू में ही रुकते हैं। इसलिए छावनी बनाई जाती है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि एक अखाड़े की पहले 52 अणियां होती थी, जो विलुप्त होते हुए अब केवल 18 ही बची हैं। अखाड़े के लाखों नागा सन्यासी होते हैं। जिन्हें अणि नेतृत्व करते हैं। श्रीमहंत राम रतन गिरी महाराज सनातन संस्कृति का भव्य संगम कुंभ पर्व में देखने को मिलेगा हमारी सनातन संस्कृति देश दुनिया को प्रभावित कर रही है। श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत नरेश गिरी, श्री महंत राधे गिरी, कारोबारी बलबीर पुरी, गंगा गिरि, निलकंठ गिरी, राजगिरी, आनंद गिरि, राजेंद्र भारती, राकेश गिरी, रतन गिरी, दिगंबर विनोद गिरी, महेश गिरी, अनुज पुरी, नीतीश पुरी, सौरव गिरी, आनंद अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती आदि उपस्थित रहे
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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