हरिद्वार। केंद्र और राज्य सरकार कुम्भ 2021 को लेकर एक तरफ तो भव्य और दिव्य आयोजित करने की बात कर रही है,लेकिन दूसरी ओर कोविड-19 के मददे्नजर केन्द्र सरकार द्वारा जारी एसओपी को आधार बनाकर प्रशासन द्वारा यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सख्त कानून बनाकर आने वाले लोगो को सीमित करना चाह रही है जिसका हरिद्वार के संत विरोध कर रहे है और संतो का कहना है कि सरकार नही मानी तो संत आंदोलन को विवश होंगे। धर्मनगरी हरिद्वार में कुम्भ शुरू होने जा रहा है जिसे लेकर तैयारियां भी हो रही है हालांकि इस बार हरिद्वार का कुम्भ कोरोना के चलते 4 माह के स्थान पर मात्र 1 माह तक ही सीमित हो चला है लेकिन सरकार इस कुम्भ को भव्य ओर दिव्य बनाने की बात कर रही है लेकिन वही कोरोना के चलते एसओपी जारी कर कुम्भ में आने वाले यात्रिओ की संख्या सीमित करने के साथ साथ कुम्भ को भी सीमित ही आयोजित करने का मन बना रही है जिसका हरिद्वार के संतों ने विरोध शुरू कर दिया है। मंगलवार को हरिद्वार में आयोजित एक संत सम्मेलन में आये बड़ा उदासीन अखाड़ा के महंत परमेश्वर दास का कहना है कि सरकार का कुम्भ मेला आयोजित करने का मन नही दिखाई दे रहा है यात्रियो के सीमित करना गलत है जिसका संत विरोध करते है। सरकार को चाहिए कि कुंभ को भव्य और दिव्य मनाए। संत सम्मेलन में आये स्वामी यतींद्रानंद गिरी महाराज के अनुसार देश भर के 90 प्रतिशत संतों के पास हरिद्वार में अपने आश्रम नही हैं। इसलिए उन्हें कुम्भ पर्व के दौरान हरिद्वार में टेंट लगाकर रहना पड़ता है लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने मेले की अधिसूचना तक जारी नही की है ऐसे में कुम्भ कब शुरू होगा,सरकार स्पष्ट तक नही कर रही। संतों ने कहा कि कुम्भ के नाम पर केवल कुछ सड़कों के निर्माण के अलावा रंगाई- पुताई ही हुई है। जिससे पता चलता है कि कुम्भ के आयोजन के लिए सरकार कितना गंभीर है। संतों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही सरकार ने कड़े कदम नही उठाये तो संत आंदोलन करेंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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