हरिद्वार। शांतिकुंज में दो दिवसीय वसंतोत्सव समारोह के पहले दिन की शुरुआत ध्यान, साधना, हवन के साथ हुई। इसके बाद गंगा, गायत्री, गायत्री के सिद्ध साधक आचार्यश्री की प्रतिमा के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। जिसमें अंतेवासी कार्यकर्ता भाई-बहिनों के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये गायत्री साधक शामिल रहे। शोभायात्रा शांतिकुंज स्थित देवात्मा हिमालय परिसर से निकली और हरिपुरकलॉ, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय होते हुए वापस गायत्री तीर्थ पहुंची। शोभायात्रा में प्रज्ञा बैंड, घंटी, शंख आदि वाद्ययंत्रों के साथ लोगों ने गंगा को निर्मल बनाने, कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, पर्यावरण संरक्षण, हर-हर गंगे घर-घर गंगे जैसे नारों से लोगों को प्रेरित किया। शोभायात्रा में लोगों ने उमंग के साथ नारे एवं जयघोष करते हुए भाग लिया। गायत्री परिवार प्रमुख डा. प्रणव पण्ड्या ने नवसृजन गायत्री महापुरश्चरण साधना में जुटने वाले नये साधकों को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती वर्ष में चलाये जा रहे इस साधना का मुख्य उद्देश्य संक्रमणकाल में मानवता को बचाये रखना, आतंकवादी-आसुरी प्रवृत्ति को निरस्त करना तथा नवसृजन की गतिविधियों को शक्ति एवं संरक्षण प्रदान करना है। हम सभी की सामूहिक शक्ति इसे पूर्णता तक पहुंचायेगी, ऐसा विश्वास है। सायंकालीन सभा को आनलाइन संबोधित करते हुए शांतिकुंज के युवा प्रतिनिधि डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह वसंत पर्व कई मायने में महत्वपूर्ण है। गायत्री तीर्थ की स्थापना की स्वर्ण जयंती और हरिद्वार महाकुंभ दोनों एक साथ आया है। कोविड के कारण हरिद्वार में हो रहे महाकुंभ में अनेक परिजन नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में उन तक गायत्री परिवार गंगाजल पहुंचानें का अथक प्रयास में जुटा है। शांतिकुंज व्यवस्थापक महेंद्र शर्मा ने बताया कि वसंतोत्सव का मुख्य कार्यक्रम मंगलवार को होगा। इस अवसर पर मुण्डन, गुरुदीक्षा, यज्ञोपवीत सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क संपन्न कराये जाएंगे। शांतिकुंज में दो दिन चलने वाले वसंतोत्सव समारोह के पहले दिन की शुरुआत ध्यान, साधना, हवन के साथ हुई। इसके बाद गंगा, गायत्री, गायत्री के सिद्ध साधक आचार्यश्री की प्रतिमा के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। जिसमें अंतेवासी कार्यकर्ता भाई-बहिनों के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये गायत्री साधक शामिल रहे। शोभायात्रा शांतिकुंज स्थित देवात्मा हिमालय परिसर से निकली और हरिपुरकलॉ, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय होते हुए वापस गायत्री तीर्थ पहुंची। शोभायात्रा में प्रज्ञा बैंड, घंटी, शंख आदि वाद्ययंत्रों के साथ लोगों ने गंगा को निर्मल बनाने, कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, पर्यावरण संरक्षण, हर-हर गंगे घर-घर गंगे जैसे नारों से लोगों को प्रेरित किया। शोभायात्रा में लोगों ने उमंग के साथ नारे एवं जयघोष करते हुए भाग लिया। गायत्री परिवार प्रमुख डा. प्रणव पण्ड्या ने नवसृजन गायत्री महापुरश्चरण साधना में जुटने वाले नये साधकों को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि शांतिकुंज के स्वर्ण जयंती वर्ष में चलाये जा रहे इस साधना का मुख्य उद्देश्य संक्रमणकाल में मानवता को बचाये रखना, आतंकवादी-आसुरी प्रवृत्ति को निरस्त करना तथा नवसृजन की गतिविधियों को शक्ति एवं संरक्षण प्रदान करना है। हम सभी की सामूहिक शक्ति इसे पूर्णता तक पहुंचायेगी, ऐसा विश्वास है। सायंकालीन सभा को आनलाइन संबोधित करते हुए शांतिकुंज के युवा प्रतिनिधि डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि यह वसंत पर्व कई मायने में महत्वपूर्ण है। गायत्री तीर्थ की स्थापना की स्वर्ण जयंती और हरिद्वार महाकुंभ दोनों एक साथ आया है। कोविड के कारण हरिद्वार में हो रहे महाकुंभ में अनेक परिजन नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में उन तक गायत्री परिवार गंगाजल पहुंचानें का अथक प्रयास में जुटा है। शांतिकुंज व्यवस्थापक महेंद्र शर्मा ने बताया कि वसंतोत्सव का मुख्य कार्यक्रम मंगलवार को होगा। इस अवसर पर मुण्डन, गुरुदीक्षा, यज्ञोपवीत सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क संपन्न कराये जाएंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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