हरिद्वार। आनंद मार्ग जागृति ध्यान मंदिर रावली महदूद में आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय आनंद मार्ग सामाजिक एवं आध्यात्मिक दर्शन पर आधारित सेमिनार एवं राजाधिराज योग साधना शिविर का रविवार को समापन हुआ। सेमिनार में केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य नभातितानंद अवधूत ने समाज का गति तत्व, रथ एवं रथी तथा सभ्यता के भविष्य सहित कई विषयों पर उपस्थित श्रद्धालु जनों का मार्गदर्शन किया। इस दौरान प्रभात फेरी निकाली गयी। प्रवचन, कीर्तन, सामूहिक साधना के अलावा आसन, कौशिकी एवं ताण्डव का प्रशिक्षण भी श्रद्धालुओं को दिया गया। श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य नभातितानंद अवधूत ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरांओं का निवर्हन आदि अनादि काल से भारतवर्ष में चला आ रहा है। गुरू ही शिष्य का ज्ञान प्रसारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। आदर सत्कार व सम्मान किया जाना नितांत आवश्यक है। सामाजिक तानेबाने को समझने की आश्यकता है। उत्तम चरित्र ही राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। धर्म संस्कृति का ज्ञान सभी को होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तौर तरीकों को समझने की आवश्यकता है। तीन दिवसीय सम्मेलन में श्रद्धालु भक्तों को जीवन को ऊंचाईयों की ओर ले जाने के लिए कई तरह के विचारों से अवगत कराया गया। बड़ी संख्या में राज्य एवं अन्य प्रदेशों से भक्तजनों ने आचार्य नभातितानंद अवधूत महाराज से उनके विचारों का लाभ प्राप्त किया। इस अवसर पर बरेली, मेरठ उत्तरकाशी,नैनीताल, हरिद्वार सहित कई स्थानों से आए श्रद्धालु मौजूद रहे। आचार्य आदित्य देवानंद अवधूत, आचार्य अमरतेशानंद अवधूत, महिला सन्यासिनी अवधुतिकानंद, आराधना आचार्या, कार्यक्रम के व्यवस्थापक जय प्रकाश, अशोक, नवीन, देवेंद्र शास्त्री, प्रभुपाल आदि ने सहयोग किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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