हरिद्वार। पंचायती धड़ा फिराहेड़ियान के आग्रह पर अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी ने सुप्रसिद्ध सिद्धपीठ गुघाल मंदिर पांडेवाला पहुंचकर पेशवाई मार्ग का निरीक्षण किया। गुघाल मंदिर से चंद्राचार्य चैक तक निरीक्षण के दौरान पंचायती धड़ा फिराहेड़ियान व गंगा सभा के पदाधिकारी व अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह भी मौजूद रहे। पेशवाई मार्ग निरीक्षण के दौरान मौजूद रहे पार्षद जफर अब्बासी, सद्दीक गाड़ा, अथर अंसारी, अरशद ख्वाजा, तासीन अंसारी, एडवोकेटे फुरकान अली, शाहनवाज कुरैशी, आबाद कुरैशी आदि सहित संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों ने पेशवाई का बढ़चढ़ कर स्वागत करने का ऐलान किया। इस दौरान पंचायती धड़ा फिराहेड़ियान के अध्यक्ष महेश कुमार तुंबड़िया, महामंत्री उमाशंकर वशिष्ठ, कोषाध्यक्ष सचिन कौशिक ने कहा कि प्राचीन समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार कुंभ मेले में संत महापुरूषों, नागा संयासियों के ठहरने की व्यवस्था गुघाल मंदिर के विशाल प्रांगण में होती है। गुघाल मंदिर से ही संत पेशवाई के रूप में जूना अखाड़े के लिए रवाना होते हैं। पेशवाई के उपनगरी ज्वालापुर के सभी समुदायों द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। इस वर्ष हो रहे कुंभ मेले में भी इस पंरपरा का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कंुभ एकता व भाईचारे का संदेश देने वाला पर्व है। बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग संत महापुरूषों के स्वागत समारोह में सम्मिलित होते हैं। मेला प्रशासन पेशवाई मार्ग को दुरूस्त कर सभी व्यवस्थाएं जल्द पूरी करे। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि पंरपरा के अनुरूप गुघाल मंदिर से ही पेशवाई जूना अखाड़े के लिए रवाना होगी। इस अवसर पर विपुल मिश्रोटे, संजय खजानके, अनिल कौशिक, अजय हेम्मनके, डा.शिवकुमार भगत, प्रदीप निगारे, विजय प्रधान, गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, शशिकांत, अभिषेक वशिष्ठ, सौरभ सिखोला, अंकुर पालीवाल, मोहित, गौरव चक्रपाणी आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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