हरिद्वार। कुम्भ मेले में धर्म ध्वजा का विशेष महत्व है। अखाड़ो में धर्म ध्वजा की स्थापना होने के साथ कुम्भ मेले का आगाज हो जाता है। कुम्भ मेला प्रशासन ने सभी 13 अखाड़ों में लगने वाली धर्म ध्वजा की लकड़ी चुन ली है। गुरुवार को मेला प्रशासन ने छिद्दरवाला के जंगल से लायी गयी धर्म ध्वजा की लकड़ी को अखाड़ों को सौंपा। मेलाधिकारी दीपक रावत ने बैरागी कैम्प में सबसे पहले बैरागी अखाड़ों के संतों को ये लकड़ी सौंपी। धर्म ध्वजा की लकड़ियां पहुंचने पर साधु-संतों में भी काफी खुशी की लहर देखने को मिली तो वही मेला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली क्योंकि धर्म ध्वजा की लकड़ियों को लाना काफी बड़ी चुनौती होती है। कुम्भ अब 1 से 28 अप्रैल तक केवल एक माह अवधि का ही होगा, मगर आज प्रतीकात्मक रूप से कुम्भ की शुरुआत हो गई जब अखाड़ो में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं के लिए लकड़ियों को पूरे रीति रिवाज और सुरक्षा के साथ सभी तेरह अखाड़ो में पंहुचा दिया गया। मेला प्रशासन अखाड़ो के प्रतिनिधियों के साथ आज सुबह ही देहरादून के पास जंगलो में पहले से चिन्हित की गई लकड़ियों को लेने के लिए पंहुच गया था पूरे विधि विधान के साथ लकड़ियों को काट कर कड़ी सुरक्षा के बीच अखाड़ों मे पंहुचा दिया गया। धर्म ध्वजा की लकड़िया अखाड़ो में पंहुचने से अखाड़ो में खुशी का माहौल है अखाड़ो के प्रतिनिधि कहते है कि आज खुशी का माहौल है धर्म ध्वजा के लिए लकड़िया पहुंचाने का संदेश साफ है कि कुम्भ होगा दिव्य व भव्य होगा मगर पूरी सुरक्षा के साथ होगा। इस दौरान दिगंबर अखाड़े के सचिव प्रतिनिधि बाबा हठयोगी ने कहा कि मेला अधिकारी स्वयं धर्म ध्वजा की लकड़ी लेकर उनके पास आए हैं, इससे साफ जाहिर हो जाता है कि धर्म नगरी द्वार में कुंभ मेले का दिव्य और भव्य आयोजन होगा। वही ध्वजा की लकड़ी को छिद्दरवाला से हरिद्वार लाने में प्रशासन को काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा। कुम्भ मेला अधिकारी दीपक रावत ने बताया कि धर्मध्वजा की लकड़ी को हरिद्वार लाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती थी। सबसे पहले लकड़ी के चयन के लिए वन विभाग की सभी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है। इसके के बाद इसका ट्रांसपोर्टेशन किसी चुनौती से कम नहीं है लेकिन सकुशल यह लकड़ी द्वार पहुँची इसके लिए प्रशासन की टीम बधाई की पात्र है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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