हरिद्वार। श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज ने एसएम जेएनपीजी कॉलेज परिसर स्थित श्री निरंजनी अखाड़े की छावनी में पहुंचे। छावनी में पहुंचने पर उनका अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी, श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं अखाड़ा सचिव महंत रवींद्र पुरी महाराज तथा अखाड़े के सचिव महन्त राम रत्न गिरी महाराज ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि आज से हरिद्वार में कुंभ का आगाज हो गया है और निरंजनी अखाड़े के संतों ने सबसे पहले हरिद्वार में रमता पंचों के साथ प्रवेश किया है जिनका हरिद्वार की जनता ने हृदय से स्वागत किया। महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज की अगुवाई में पेशवाई 3 मार्च को निकाली जाएगी महंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि इस बार नगर प्रवेश के समय मुख्य विषय हरिद्वार हो नशा मुक्त बनाना था और पेशवाई में उत्तराखंड की संस्कृति की झलक लोगों को देखने को मिलेगी आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने कुंभ मेला प्रशासन द्वारा अखाड़े की छावनी में की गई व्यवस्थाओं के लिए प्रशासन का आभार जताया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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