Skip to main content

पतंजलि में आयोजित तीन दिवसीय अन्र्तराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

 

हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ स्थित श्रद्धालयम परिसर में ‘पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का आधुनिक विज्ञान के साथ समाकलन प्रासंगिकता, चुनौतियाँ, एवं भावी परिपेक्ष्य’ शीर्षक पर तीन दिन से चल रहे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। सत्र के मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने पारंपरिक रूप से प्रयोग किए जा रहे गूढ़ ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के मापदण्डों पर परखते हुए प्रयोग करने हेतु जोर दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिकता में हम अपनी निजता को न भूलें। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हमारी प्राचीन चिकित्सा ने अपनी उपयोगिता प्रमाणित की है। सत्र के गेस्ट ऑफ ऑनर पतंजलि विश्वविद्यालय के डॉ. विनय कुमार कटियार ने जड़ी-बूटियों के भेषज गतिज विज्ञान को गणित के माध्यम से जानने के लिए नए वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी। इस अवसर पर पतंजलि अनुंसधान संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि बड़ी विडम्बना है कि विश्व की सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति ‘आयुर्वेद’ को पूर्ण रूप से औषधि का दर्जा नहीं मिल सका। ड्रग माफियाओं के षड्यंत्र तथा आयुर्वेद पर बड़े अनुसंधान कार्य न होना इसका महत्वपूर्ण कारण रहा। विश्व में सर्वप्रथम पतंजलि ने आयुर्वेद में तथ्य आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान कर आयुर्वेद को नये आयाम पर स्थापित किया है। आने वाली पीढियाँ पतंजलि के इस महान् कार्य से लाभान्वित होंगी। कार्यक्रम में पतंजलि हर्बल रिसर्च डिपार्टमेंट की साइंटिस्ट ई तथा टीम लीडर डॉ. वेदप्रिया आर्या ने कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली योग व प्राणायाम रही है। हमारे प्राच्य ऋषियों के अकूत ज्ञान व विज्ञान आधारित हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पूरे विश्व में विख्यात है। बदलते परिवेश के कारण पिछड़ी इस चिकित्सा प्रणाली को स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण के पुरुषार्थ से संजीवनी मिली है। आज पूरे विश्व में पतंजलि योग व आयुर्वेद का पर्याय बन चुका है। डॉ. परन गौड़ा ने आयुर्वेद में बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के बारे में चर्चा की। इसके अतिरिक्त वर्चुयल माध्यम से यू.ए.ई. (दुबई) से जुड़ी डॉ. कनु मेघा ने अपने विचार रखे। डॉ. वेदप्रिया आर्या ने सम्मेलन का सारांश बताते हुये सभी का धन्यवाद दिया। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए सभी के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। 


Comments

Popular posts from this blog

गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

  हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है।  महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा

ऋषिकेश मेयर सहित तीन नेताओं को पार्टी ने थमाया नोटिस

 हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।