हरिद्वार। कुम्भ के पहले शाही स्नान के दिन मुख्यमंत्री तिरथ सिंह रावत द्वारा अखाड़ो के साथ मुलाकात ओर शाही स्नान के लिए अखाड़ो पर पुष्प वर्षा किये जाने पर संत समाज ने स्वागत किया है। संतो ने आशा की है नए मुख्यमंत्री कुम्भ को ओर भव्य और दिव्य बनाने को ओर अधिक प्रयास करेंगे। वही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कुम्भ व्यवस्थाओ पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कुम्भ के लिए लगाए गए कुछ अधिकारी को भी हटाया जाए। कुंभ के प्रथम शाही स्नान के बाद साधु-संतों की संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि वे सभी अखाड़ो की तरफ से कुंभ मेला प्रशासन और जिला प्रशासन का धन्यवाद ज्ञापित करते हैं कि अच्छी व्यवस्थाओं के साथ पहला शाही स्नान संपन्न हुआ है। वही उन्होंने नए मुख्यमंत्री के हरिद्वार पहुंचने पर साधु-संतों और गंगा सभा से मुलाकात का भी स्वागत करते हैं ओर मुख्यमंत्री द्वारा हरिद्वार शाही स्नान के लिए निकले संतों पर पुष्प वर्षा का भी आभार व्यक्त करते हैं। यहां उन्होंने कहा कि वह आशा करते हैं कि कुंभ को लेकर पूर्व में जारी की गई एसओपी पर सरकार नए मुख्यमंत्री नरम रवैया अपनाते हुए श्रद्धालुओं के लिए इसको समाप्त करने का काम करेंगे। वही उन्होंने कुछ अधिकारियों को कुम्भ की व्यवस्थाओं से हटाने की मांग भी की है। जिसमे उन्होंने विशेष तौर पर नगर आयुक्त जय भारत सिंह को हटाए जाने की बात कही। वही मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने कहा कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भगवान शिव का स्वरूप है और वह आशा करते हैं कि उनके नेतृत्व में कुंभ का आयोजन और अधिक भव्य और दिव्य होगा। उन्होंने बताया कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष कुम्भ की व्यवस्थाओं पर जल्द ही मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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