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महंत रामगिरी महाराज बने श्रीपंच दशनाम आह्वान अखाड़े के महामण्डलेश्वर

 

हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है। जो भारत को पूरे विश्व में महान बनाती है। महापुरूषों ने सदैव समाज को नयी दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित श्रीपंच दशनाम आह्वान अखाड़े में महंत रामगिरी महाराज के पट्टाभिषेक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति के उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। आह्वान अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्यगिरी महाराज ने कहा कि अखाड़ों की गौरवशाली परंपरा के चलते पूरे विश्व में भारत का विशिष्ट स्थान है। संत महापुरूषों का तप बल विश्व विख्यात होने की वजह से विदेशी श्रद्धालु भक्त भी सनातन संस्कृति को अपना रहे हैं। महंत रामगिरी महाराज एक विद्वान संत हैं। कुंभ मेले के दौरान म.म.पद पर अभिषिक्त होना उनके लिए गौरव की बात है। सभापति श्रीमहंत पूनम गिरी एवं संरक्षक श्रीमहंत नीलकंठ गिरी महाराज ने कहा कि अखाड़ा परंपरा के अनुसार योग्य संत को ही महामण्डलेश्वर के पद पर नियुक्त किया जाता है। विद्वान महापुरूष महंत रामगिरी महाराज महामण्डलेश्वर पद के सर्वथा योग्य संत हैं। श्रीपंच अग्नि अखाड़े के सचिव श्रीमहंत संपूर्णानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि विश्व धरोहर कुंभ मेले में महामण्डलेश्वर पट्टाभिषेक उत्सव समान होता है। महामण्डलेश्वर महंत रामगिरी महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो दायित्व अखाड़े द्वारा उन्हें सौंपा गया है। उसका पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करते हुए अखाड़े की पंरपरांओं को गति प्रदान करेंगे। मेला अधिकारी दीपक रावत व अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह ने भी कार्यक्रम में पहुंचकर संत महापुरूषों से आशीर्वाद लिया और मेला व्यवस्थाओं पर चर्चा की। इस अवसर पर श्रीमहंत कैलाश पुरी, श्रीमहंत शिवेश गिरी, श्रीमहंत रसदान पुरी, श्रीमहंत भोला गिरी, श्रीमहंत भारद्वाज गिरी, श्रीमहंत शरद भारती, श्रीमहंत महेंद्र पुरी, महंत कर्णगिरी, श्रीमहंत चेतन गिरी, श्रीमहंत राजेश गिरी, श्रीमहंत राजेंद्र भारती, मुखिया महंत भगतराम, श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, श्रीमहंत साधनानंद, महंत शिवशंकर गिरी, स्वामी जगदीशानंद, संत तलविन्दर सिंह सहित बड़ी संख्या में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने महामण्डलेश्वर महंत रामगिरी महाराज को आशीर्वाद प्रदान कर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।


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