हरिद्वार। अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा है कि भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व कुंभ मेला सनातन धर्म का परचम पूरे विश्व में फहराता है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु कुंभ की आलौकिक छटा को देखकर भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर इसे अपनाते हैं। कुंभ मेले के दौरान देव भूमि उत्तराखंड में आगमन का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। बैरागी कैंप स्थित जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के शिविर में भूमि पूजन के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्री महंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा है कि मनुष्य को यदि परमात्मा की प्राप्ति करनी है और अपने जीवन को भवसागर से पार लगाना है तो कुंभ के दौरान पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाकर स्वयं को पुण्य का भागी बनाएं। महंत रामजी दास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला धर्म संस्कृति और अध्यात्म का संगम है। जिसमें सनातन हिंदू धर्मावलंबी मोक्ष की कामना कर पुण्य सलिला मां गंगा में डुबकी लगाने आते हैं। हरिद्वार में आयोजित हो रहा पावन कुंभ मेला संत महापुरुषों के आशीर्वाद से दिव्य और भव्य रुप से संपन्न होगा जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी एवं कृपापात्र शिष्य जय भईया ने कहा कि कुंभ मेला पूरे विश्व में एकता अखण्डता को कायम रखता है। संत महापुरूषों के सानिध्य में कुंभ मेला सकुशल संपन्न होगा। इस दौरान जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य, महंत गौरीशंकर दास, महंत रामशरणदास, महंत रामजीदास, महंत रामकिशोर दास शास्त्री, महंत मनीष दास, म.म.भगवानदास खाकी, महंत मोहनदास खाकी, महंत रामप्रवेश दास, महंत हरिदास, महंत ऋषिकुमार दास, म.म.सरजूदास महात्यागी, म.म.आरीदास, म.म.भैयाजी महाराज, म.म.त्रिवेदी दास, म.म.महात्मा दास त्यागी, म.म.बालकदास महात्यागी, म.म.रामदास, महंत हिटलर बाबा, महंत रामदास, महंत पवनदास आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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