हरिद्वार। 24 अप्रैल को पहाड़ों के विभिन्न भागों से देवडोलियां अपने प्राण प्रतिष्ठित चिह्न के साथ ढोल दमाऊं के नृत्य पर हरिद्वार पहुंचेगी और 25 अप्रैल प्रातः हरि की पैड़ी पर कुम्भ स्नान करने के बाद आशीर्वाद देकर अपने स्थान- स्थान को प्रस्थान कर जायेगी। देव डोलियों के शाही स्नान के संबंध में जानकारी देते हुए कार्यक्रम के सह संयोजक मुकेश जोशी ने बताया कि हरिद्वार के स्थानीय एवं बाह्य साधु संतों, धर्मगुरु कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह गांववासी, एवं बड़ी गणमान्य महानोभाओं की गरिमामय उपास्थि में श्री बद्री नारायण भगवान और श्री वीर हनुमान जी की धर्मध्वजाये पूर्व में ही प्रेम नगर आश्रम में स्थापित हो चुकी है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार गढ़वाल महासभा ने आगामी होने वाले देव डोलियों के शाही कुंभ स्नान के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है जिसके लिए समय-समय पर शासन प्रशासन के साथ में बैठकर चल रही है उन्होंने बताया कि देव डोलियों के शाही स्नान हेतु शासन और प्रशासन हर संभव मदद के लिए तैयार है। देवडोलियो के बारे में डा0 हरिनारायण जोशी ने बताया कि हमारे उत्तराखंड के अंचलों में जैसे बदरी-केदार, गंगोत्री-जमुनोत्री, जागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर, सेम मुखेम नागराजा, महासू देव, नौ शक्तिपीठ जैसे प्रसिद्ध धामों के अतिरिक्त पहाड़ों की हर ऊंची चोटी में पौराणिक काल से ही देवी देवताओं के मन्दिरों की स्थापना है। यही नहीं हर गांव और कुटुम्ब का अपना ग्राम और कुल देवता है जो परम ईश्वरीय शक्ति के ही अंश होते हैं। उनके साक्षात अवतरण दर्शन के लिए किसी साधक-साधिका पर अल्प समय के लिए देवी-देवता अपनी दृष्टा देते हैं जिन्हें देवी देवताओं का पश्वा, पसीण या औतारा कहा जाता है। ये साधक जीवन भर विशेष नियमों का पालन करते हैं और सम्बन्धित देवी देवता की आराधना के लिए नियमबद्ध होकर समर्पित रहते हैं। देव डोलियों के साथ इन सभी का आगमन कुम्भ स्नान के लिए रहेगा।उन्होंने सभी लोगो से निवेदन किया धार्मिक और आध्यात्मिकता के साक्षात दर्शन के लिए इन देव डोलियों के स्वागत के लिए आप भी पधार कर पुण्य के भागी बनें।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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