हरिद्वार। उपनगर कनखल में संन्यास रोड स्थित श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा में 75 नागा पचहत्तर नागा संन्यासी बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई सबसे पहले नागा सन्यासी बनने वालों को ब्रह्मचारी की दीक्षा दी गई कनखल के संन्यास मार्ग स्थित हरि भारती आश्रम में गंगा तट पर इन ब्रहमचारीगणों को दंड दिया गया और इनका यज्ञोंपवित्र संस्कार कराया गया और इन्हें गंगा स्नान कराने के बाद भस्मी निशान कराया गया और इनका पिता तथा मां के पक्ष की ओर से सात सात पीढ़ी का श्राद्ध कराया गया फिर इनका स्वयं का श्राद्ध कर इनका पिंडदान किया गया इसके बाद यह अवशेष यानी अवधूत कहलाए गए गंगा तट पर इस प्रक्रिया के बाद दंड धारण कर और हाथ में मिट्टी के पात्र में गंगा जल लेकर यह ब्रह्मचारी गण श्री महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा की छावनी में सामूहिक रूप से पैदल चलते हुए और हर हर महादेव का उद्घोष करते हुए पहुंचे, जहां इन्हें सामूहिक रूप से पंडाल के नीचे बिठाया गया। जहां इन्होंने सामूहिक रूप से शिव जी का सामूहिक पूजन किया भजन किया। श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव महन्त रविंद्र पुरी महाराज ने बताया कि नागा सन्यासी बनने से पहले संतो को अपना पिंड दान करना पड़ता है जिसे विजया होम संस्कार कहते हैं इसमें नागा बनने वाले पात्र को अपना पिंड दान करना पड़ता है उन्होंने कहा कि नागा सन्यासी बनने की परंपरा आदि जगतगुरु शंकराचार्य के काल से चली आ रही है यह नारा सन्यासी एक तरह की अखाड़ों की फौज होते हैं जो धर्म की रक्षा व धर्म का प्रचार करते हैं और अखाड़ों की व्यवस्थाओं में सहयोग करते हैं। अखाड़ा के महन्त विनोद गिरी हनुमान बाबा ने बताया कि हरिद्वार कुंभ में इस बार श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ने 75 नागा साधुओं को दीक्षा दी है। उन्होंने बताया कि आज इनको नागा बनने की पहली प्रक्रिया से गुजरना पड़ा इसके बाद यह ब्रह्मचारी बनकर सन्यास दीक्षा की ओर कल शुक्रवार की तड़के 3 बजे ब्रह्म मुहूर्त में सामूहिक रूप से एकत्र होंगे और इन्हें श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद महाराज वैदिक विधि-विधान के साथ दीक्षा देंगे इसके बाद यह शुक्रवार से दस नाम सन्यासी परंपरा में दीक्षित होकर महानिर्वाणी अखाड़ा के नागा साधु बन जाएंगे। यह नागा साधु 12 अप्रैल और 14 अप्रैल के शाही स्नान में शामिल होंगे
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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