हरिद्वार। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि आध्यात्मिक उत्थान एवं धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ति के लिए एक ही स्थान पर एकत्रित होने वाले धार्मिक एवं श्रद्धावान समुदाय का सम्मेलन एवं लोक आस्था का महापर्व कुंभ मेला मनुष्य को पापों से मुक्त करता है और भवसागर से पार लगाता है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की छावनी में आयोजित संत सम्मेलन के दौरान स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि उत्तराखंड की पावन धरा पर आयोजित होने वाले कुंभ मेले में देवताओं का वास होता है। मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने मात्र से ही व्यक्ति को सहस्त्र गुण पुण्य फल की प्राप्ति होती है। स्वामी चिदानंद मुनि महाराज ने कहा कि आस्था और शक्ति का महापर्व कुंभ मेला सनातन धर्म के प्रति करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को दर्शाता है। विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन इस पृथ्वी पर सकारात्मक धर्म का संदेश प्रदान करता है और मेले के दौरान होने वाले धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ हवन आदि से जो सकारात्मक ऊर्जा संपूर्ण वातावरण में समाहित होती है। उससे समाज में ज्ञान का प्रसार होता है। महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी महाराज ने कहा कि युगों युगांे से बहती पतित पावनी मां गंगा की अविरल धारा और संतों का सानिध्य सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। कुंभ मेले का पावन स्नान का लाभ जो व्यक्ति ग्रहण कर लेता है। उसके जीवन की सभी दुश्वारियां दूर हो जाती है और उसका जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। इस दौरान कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का सनातन हिंदू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष अमित वालिया ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महानिर्वाणी के सचिव महंत रविन्द्रपुरी महाराज व महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार के लिए समर्पित होता है। कुंभ मेले में देश भर से हरिद्वार के गंगा तट पर होने वाले विशाल संत समागम के दौरान संत महापुरूषों के दर्शन करने मात्र से श्रद्धालुओं का जीवन परिवर्तित हो जाता है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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