हरिद्वार। कुम्भ महापर्व के पावन अवसर पर पंचायती धड़ा फिराहेडियांन के तत्वावधान में प्राचीन सिद्धपीठ श्री रघुनाथ मन्दिर पांडेवाला ज्वालापुर में सामूहिक यज्ञोपवीत का आयोजन किया गया। सामूहिक यज्ञोपवीत समारोह में 30 बच्चों का यज्ञोपवीत वासुदेव मिश्रा के आचार्यत्व में 11 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा पूर्ण वैदिक विधि विधान से सम्पन्न कराया गया। इस अवसर पर पीत वस्त्रो में बच्चों के माता पिता सहित सैकड़ों लोग उपस्थित हुए। पंचायती धड़ा फिराहेडियान के मंत्री उमा शंकर वशिष्ठ ने बताया की सनातन संस्कृति में बालको का 12 वर्ष की अवस्था मे यज्ञोपवीत आवश्यक है। पंचायती धड़ा समय समय पर धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करता है। उमाशंकर वशिष्ठ ने कहा कि चरित्रवान बालक ही राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति व हिंदू धर्म के प्रति बालक बालिकाओं को प्रेरित करने की आवश्यकता है। अभिभावकों को धार्मिक क्रियाकलापों से बच्चों को अवगत कराना चाहिए। अध्यक्ष महेश तुम्बड़िय व सचिन लुतिया ने कहा कि हिंदू धर्म में यज्ञोपवीत संस्कार आदि अनादि काल से होता चला आ रहा है। तीर्थ पुरोहित समाज सदैव ही धार्मिक गतिविधियों में अपना योगदान देता चला आ रहा है। पंचायती धड़ा फिराहेड़ियान सामाजिक, धार्मिक व संस्कृति मे प्रति युवक युवतियों को प्ररित करने का काम कर रहा है। इस अवसर पर अध्यक्ष महेश तुम्बडिया, उपाध्यक्ष डा.शिव कुमार भक्त, सचिन कौशिक, अनिल कौशिक, विजय प्रधान, निर्मल गोस्वामी, प्रदीप निगारे, अजय हेम्म्न के, अवीनाश शुक्ला, अवधेश भक्त, संजय खजान के, विपुल मिश्रोटे, अभिषेक वशिष्ठ, श्रेय वशिष्ठ, दीपक मोलतीये, राकेश चक्रपाणि, अखिलेश शास्त्री, सौरभ सिखौला, सिद्धार्थ त्रिपाठी आदि मौजूद रहे। सभी बालको को आचार्य द्वारा गुरु दीक्षा दी गई।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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