हरिद्वार। अखिल भारतीय श्री चर्तु संप्रदाय में ब्रह्मलीन श्री महंत रामलखन दास महाराज के स्थान पर महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा एवं ब्रह्मलीन बर्फानी दादा के स्थान पर श्रीमहंत दिनेश दास महाराज का पट्टाभिषेक तीनों वैष्णव अनी अखाड़ा के संत महापुरुषों के सानिध्य में किया गया। इस दौरान हैलीकाॅप्टर से पुष्पवर्षा कर संत महापुरूषों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े से चर्तु संप्रदाय की छावनी तक बैंड बाजों के साथ शोभा यात्रा निकाली गई। पट्टाभिषेक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में वैष्णव संतो की अहम भूमिका है। जोकि रामनाम का जाप कर अपने भक्तों में धर्म एवं संस्कृति का ज्ञान प्रसारित कर रहे हैं। देश दुनिया में कुंभ मेले के दौरान वैष्णव अनी अखाड़ा के संतों का अलग ही महत्व होता है। उन्होंने कहा कि आशा है कि श्रीमहंत दिनेश दास महाराज एवं महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा वैष्णव संप्रदाय की परंपरांओं के अनुरूप धर्म का प्रचार प्रसार कर संत समाज की सेवा करते रहेंगे। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज एवं श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्ण दास नगरिया महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। नवनियुक्त गद्दी नशीन महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा एवं श्रीमहंत दिनेश दास महाराज ने कहा कि जो दायित्व उन्हें संत समाज द्वारा सौंपा गया है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे उन्होंने कहा कि वैष्णव संप्रदाय के संतों ने सदैव समाज को नई दिशा प्रदान की है। उनका पूरा प्रयास रहेगा कि अखाड़ों की परंपराओं का निर्वहन करते हुए अपने गुरु के अधूरे कार्य को पूर्ण कर राष्ट्र के उत्थान में अपना सहयोग प्रदान करेंगे। इस दौरान जगन्नाथ मंदिर के महंत दलिप दास महाराज, मुख्य ट्रस्टी महेंद्र भाई झा, महंत राजबिहारी दास काठियाबाबा, महंत फूलडोल दास, महंत रामजी दास, महंत रामकिशोर दास शास्त्री, महंत मोहन दास खाकी, महंत भगवान दास खाकी, महंत गौरी शंकर दास, महंत अनिरुद्ध दास, महंत मनीष दास, महंत रामदास, महंत रामशरण दास, महंत नरेंद्र दास, महंत महेश दास, महंत प्रेमदास, महंत लाल दास, महंत अगस्त दास, महंत मोहन दास, महंत विष्णु दास, बाबा हठयोगी, महंत रघुवीर दास, दिगंबर आशुतोष पुरी सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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