हरिद्वार। कुम्भ मेला भव्यता के साथ अपने समापन की सीढ़ियां चढ़ रहा है प्रमुख पर्व बैसाखी के सकुशल सम्पन होने के पश्चात अधिकांश फोर्स को वापस भेजा जा रहा है। जहां वापसी के दौरान कुंभ बीरों को नवाजने के लिए कुम्भ मेला पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने शुरुआत की है। उत्तराखंड सँस्कृति ,कला और आस्था के सांकेतिक चिन्ह की सांकेतिक कुम्भ यानी एक तांबे के छोटे से कलश से। इसे विशेष रूप से तैयार किया गया है। अल्मोड़ा शहर के कारीगरों द्वारा, इस कलश की एक और विशेषता इसे विशिष्ट बनाती है वो हैं कलश पर बनाई गई उत्तराखंड सँस्कृति की पहचान ऐपण की कलाकृति। उत्तराखंड लोक कला ऐपण जो एक प्रकार से अल्पना का ही प्रतिरूप है एक ऐसी अल्पना एक ऐसी लोक कला, जिसका इस्तेमाल उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में सदियों से जारी है। उत्तराखंड सँस्कृति के हृदय में समाहित ऐपण कलात्मक अभिव्यक्ति का भी प्रतीक है। इस लोक कला को अलग-अलग धार्मिक अवसरों के मुताबिक बनाया किया जाता है।देखने में भले ही ये ऐपण आसान से नजर आते है, लेकिन इन्हें बनाने में ग्रहों की स्थिति और धार्मिक अनुष्ठानों का खास ध्यान रखा जाता है। कुम्भ ड्यूटी के दौरान कर्तव्य निर्वहन करने वाले पैरामिलेट्री फोर्स पुलिस अनुषांगिक शाखाएं एवमं कुम्भ मेला ड्यटी के दौरान कर्तव्य निर्वहन के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुलिस बल या कुम्भ मेले से सम्बंधित किसी कार्य मे अपनी विशेष भूमिका निभाने वाले जनमानस अथवा संस्था को सांकेतिक आस्था कलश से नवाजा जा रहा है
Comments
Post a Comment