हरिद्वार। कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने बैरागी कैंप स्थित श्री ज्ञान गंगा गौशाला पहुंचकर महंत रामदास महाराज के साथ भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना कर विश्व शांति के लिए हवन यज्ञ किया। इस दौरान महंत रामदास महाराज ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों से देश में नई ऊर्जा का संचार होता है। हवन यज्ञ के आयोजन से तेजस्विता, प्रखरता एवं उत्कृष्टता का प्रशिक्षण मिलता है। यज्ञ पवित्र प्रक्रिया है, जिसके द्वारा अपावन एवं पावन के बीच संपर्क स्थापित किया जाता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल एक होनहार अधिकारी हैं। जिन्होंने विषम परिस्थितियों में आयोजित कुंभ मेले के तीन शाही स्नान सकुशल संपन्न कराए। ऐसे कर्मठ अधिकारियों की देश को आवश्यकता है। कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं जो उन्हें धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि श्री ज्ञान गंगा गौशाला आकर उन्हें 2010 कुंभ मेले की याद ताजा हो गई है। जब अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञान दास महाराज के सानिध्य में उन्होंने कुंभ मेला आयोजन में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर ही संत महापुरुषों द्वारा किए गए हवन यज्ञ एवं धार्मिक अनुष्ठानों से आसुरी शक्तियों का नाश होता है और देश मैं खुशहाली आती है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले का अंतिम शाही स्नान सकुशल संपन्न हो इसके लिए हवन यज्ञ के माध्यम से कामना की गई है। साथ ही विश्व कल्याण के लिए भी भगवान हनुमान महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान महामंडलेश्वर मनमोहन दास, महंत राघवेंद्र दास, महंत दिनेश दास, उज्जैन श्री नाग छत्रेश्वर महादेव मंदिर से आए आचार्य पंडित मनीष दुबे, पंडित गोपाल उपाध्याय, पंडित उदित जोशी, पंडित वैभव शुक्ला, पंडित तुषार शुक्ला, पंडित गौरव पंचोली, पंडित प्रखर इंदु आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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