हरिद्वार। एक महीने के सरकार द्वारा जारी कुम्भ मेला के बीच अचानक कोरोना के बढ़ते मामलों ने मेले को सीमित करने पर मजबूर कर दिया है। प्रधानमंत्री की प्रतीकात्मक शाही स्नान की अपील के बाद पाॅच सन्यासी अखाड़ो ने कुम्भ मेला का विसर्जन कर दिया। अखाड़ो के द्वारा कुम्भ मेला समापन की घोषणा के चलते धर्मनगरी हरिद्वार में कुम्भ का रंग फीका पड़ गया है। टेन्ट,टीनशेड का निर्माण होने के बावजूद कई अखाड़े सूनसान पड़े है। अखाड़ो की ओर से कुम्भ मेला समापन के बाद बाहर से आये नागा सन्यासी और साधु संत अपने अपने आश्रमों को रवाना हो गए है। दरअसल कुम्भ मेला के पहले दो शाही स्नान सम्पन्न होने के बाद धर्मनगरी हरिद्वार स्थित अखाड़ों में बड़ी संख्या में साधु संत कोरोना संक्रमित पाए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद अखाड़ों के प्रमुख संतो ने हरिद्वार महाकुंभ मेले को प्रतीकात्मक रूप से आयोजित करने का फैसला लिया। उसके बाद अखाड़ों में बने शिविरों की रौनक धीरे धीरे गायब होने लगी। हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माया देवी मंदिर परिसर में बने जूना, अग्नि और आह्वान तीनो अखाड़ों के शिविर को छोड़कर साधु संत अपने धामों को रवाना हो गए। कोरोना के कहर ने साधु संतों को छावनियां छोड़ने को मजबूर कर दिया। अब बस केवल अखाड़ों में धर्मध्वजा ही दिखाई दे रही है और 27 अप्रैल को होने वाले शाही स्नान के बाद इन्हें भी नीचे उतार लिया जाएगा। गौरतलब है कि कोरोना के बढ़ते कहर से साधु संत भी भयभीत है। 27 अप्रैल को होने वाले शाही स्नान पर केवल बैरागी अखाड़ों से जुड़े साधु संत ही स्नान करेंगे बाकी सभी अखाड़े केवल प्रतीकात्मक रूप से ही शाही स्नान करेंगे।
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