हरिद्वार। निरंजनी अखााड़े के संतों ने तुलसी चैक पर वैष्णव अनी अखाड़ों की पेशवाई का भव्य स्वागत किया। पेशवाई के तुलसी चैक पहुंचने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज, निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज, आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज, मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने पेशवाई में शामिल वैष्णव संतों का फूल माला पहनाकर व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। इस दौरान निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि पूरी दुनिया को आध्यात्मिक रूप से एकजुट करने वाला कुंभ मेला सनातन संस्कृति का सबसे बड़ा पर्व है। कुंभ मेले की दिव्यता एवं भव्यता से प्रभावित होकर विदेशी श्रद्धालु भी गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि कुंभ के दौरान निकलने वाली अखाड़ों की पेशवाई श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र और एक ही स्थान पर सिद्ध संत महापुरूषों के दर्शन व आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर होती है। वैष्णव संतों का स्वागत करते हुए अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में वैष्णव अखाड़ों की प्रमुख भूमिका है। अखाड़ों की गौरवशाली परंपराएं सनातन धर्म की महानता को पूरे विश्व में स्थापित करती हैं। मां मनसा मंदिर देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान गंगा तट पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धार्मिक अनुष्ठान विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। स्वागत करने वालों में श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत ओंकार गिरी, महंत केशवपुरी, श्रीमहंत राधेगिरी, महंत शंकरानंद सरस्वती, महंत मनीष भारती आदि संतजन शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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