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भव्य रूप से निकली निर्मल अखाड़े की पेशवाई

श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर किया पेशवाई में शामिल संतों का स्वागत

हरिद्वार। कुंभ मेला 2021 के लिए विभिन्न अखाड़ो की पेशवाई निकालने के अन्तिम दौर में शुक्रवार को श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संतों ने भव्य पेशवाई के रूप में निर्मला छावनी स्थित अखाड़े की छावनी में प्रवेश किया। एक्कड़ कला स्थित अखाड़े की शाखा से पंच प्यारों की अगुवाई में शुरू हुई पेशवाई सराय, पुल जटवाड़ा, आर्यनगर चैक, सिंहद्वार, देशरक्षक तिराहा, कनखल चैक बाजार, बंगाली मोड़, शंकराचार्य चैक, तुलसी चैक, शिवमूर्ति चैक, ललतारौ पुल होते हुए निर्मला छावनी स्थित अखाड़े की छावनी पहुंची। पेशवाई में शामिल निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह वेदांताचार्य महाराज, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज, सचिव महंत देवेंद्र सिंह, उन्नाव से भाजपा सांसद महामण्डलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज, महंत रंजय सिंह सहित देश भर से आए अखाड़े के संतों का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज, निरंजनी अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत, अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह, आईजी संजय गुंज्याल, एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने फूलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। हाथी, घोड़ों, बैेण्ड बाजों और सुन्दर झांकियों से सुसज्जित भव्य पेशवाई में शामिल संत महापुरूषों के दर्शन करने के लिए सड़क के दोनों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। संतों के दर्शन करने के लिए पूरे पेशवाई मार्ग पर छतों पर भी लोग जमा रहे। श्रद्धालुओं ने भक्ति और श्रद्धाभाव से सड़क के दोनों ओर खड़े होकर संत महापुरूषों पर पुष्पवर्षा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पेशवाई पर हैलीकाॅप्टर से पुष्पवर्षा कर संतों का स्वागत किया गया। इस अवसर पर निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह वेदांताचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्म की परिकल्पना वेदांत दर्शन का केंद्रीय स्तंभ और सनातन धर्म की विश्व को अनुपम देन है। ब्रह्म ऐसा रहस्य है, जिसे दुनिया के हर मत-संप्रदाय को मानने वाला व्यक्ति जानना चाहता है और समझना चाहता है। यही जिज्ञासा उसे खींच लाती है कुंभ जैसे अनूठे अनुष्ठान में। मानवीयता का जो भाव कुंभ में देखने को मिलता है, वह और कहीं संभव नहीं। कुंभ में दुनिया का सबसे बड़ा आकर्षण विश्व कल्याण का वह भाव है, जो सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयः का संदेश पूरे मानव समाज को देता है। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने बताया कि संतों के छावनी प्रवेश के बाद 10 अप्रैल को धर्मध्वजा की स्थापना की जाएगी। धर्मध्वजा स्थापित होने के बाद सभी कार्य धर्मध्वजा के नीचे ही संपन्न किए जाएंगे। 


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