वेदलक्षणा गोविज्ञान संगोष्ठी में कई विख्यात संतो ने एकसुर से गौवंश की रक्षा को बताया जरूरी
हरिद्वार। लोक प्रसिद्ध गोसेवा संस्थान श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेङा द्वारा संचालित वेदलक्षणा गोकृपानगर भूपतवाला शिविर मे प्रायोजित गोपुष्टी महायज्ञ की पूर्णाहुति तथा गोवत्स श्री राधाकृष्ण के व्यासत्व मे संपादित श्री रामचरितमानस नवान्ह पारायण समापन अवसर पर गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानन्दजी महाराज की प्रत्यक्ष उपस्थिति में वेदलक्षणा गोविज्ञान संगोष्ठी का अपूर्व एवं ऐतिहासिक आयोजन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता जगद्गुरु रामानन्दाचार्य श्रीरामभद्राचार्यजी महाराज तुलसीपीठ चित्रकूट द्वारा की गई तथा श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेङा के गौरवाध्यक्ष गोउपासक स्वामी राजेन्द्रदास देवाचार्यज महाराज मलूकपीठ ने संचालन किया। मानवजाति के भाग्य को बदलने वाली इस अतिविशिष्ट बैठक मे कार्षि्ण स्वामी श्री गुरूशरणानन्दजी महाराज रमणरेती गोकुल मथुरापुरी, महामण्डलेशवर स्वामी श्री विवेकानन्दजी महाराज, जगदगुरू रामानुजाचार्य श्रीजीयर स्वामीजी महाराज बक्सर बिहार, निर्मल अखाङा परमाध्यक्ष स्वामी ज्ञानदेवसिंह जी महाराज, महामण्डलेश्वर गीतामनीषी स्वामी श्रीज्ञानानन्दजी महाराज कृष्ण कृपा धाम कुरूक्षेत्र, परमार्थनिकेतन पमराध्यक्ष स्वामी चिदानन्द (मुनिजी),महामण्डलेशर स्वामी श्रीहरिचेतनानन्दजी महाराज उदासीन अखाङा, महामण्डलेशर स्वामी अर्जुनपुरीजी महाराज तुलसीमानस मन्दिर हरिद्वार, भारत प्रसिद्ध महायज्ञों के आयोजक तथा स्वामी प्रबलजी महाराज,राष्ट्रीय गोसेवा मिशन के अध्यक्ष गोकरूणामूर्ति स्वामी श्रीकृष्णानन्दजी महाराज पंजाब, श्रीकृष्णायन गोशाला हरिद्वार के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर ईश्वरदासजी महाराज, ब्रह्मपीठाधीशवर श्रीमहन्त त्रिवेणीधाम जयपुर के साथ साथ भारत के सभी धामों, तीर्थों,सम्प्रदायों, अखाड़ों एवं सन्त परम्पराओं का निर्वहन करने वाली राष्ट्र की महान आध्यात्यामिक विभूतियों ने एक पहर पर्यन्त धर्मशास्त्र व आयर्वेद शास्त्र के प्रकाश मै गहन विचार विमर्श किया। वेदलक्षणा गोविज्ञान संगोष्ठी मे उपस्थित उपरोक्त सभी महामनिषयो ने दैनिक जीवनचर्या के अनुभवों व अपनी आध्यात्यामिक साधनाओं के सारस्वरूप का मन्थन पुर्वक निर्णय करते हुए समवेत स्वर में कहा कि लाखों वर्षों से भारतीय परम्परा में वेदलक्षणा गोमाता के वात्सल्य से प्राप्त दूध, दही, घृत, गोमय व गोमूत्र का दैनिक जीवन में औषधि, आहार, उपासना तथा धरती के पोषण, प्रकृति के संवर्धन, पर्यावरण के परिशोधन एवं मानवीय संस्कृति के विस्तार में विधिपूर्वक विनियोग होता रहा है उसके परिणामस्वरूप हम भारतवंशियों के पूर्वज अदम्य रोगप्रतिरोधक शक्ति से सम्पन्न,शौर्य, ओज, तेज, बल, धैर्य, वीर्य, स्मृति, मेधा तथा लौकिक व अलौकिक अपार ऐश्वर्य से युक्त हजारों वर्षों की गोव्रती पारमार्थिक दीर्घायु प्राप्त करते थें भारतीय इतिहास एवं आज के गोव्रती देवपुरुषों का जीवन ही इसका ज्वलन्त ओर प्रत्यक्ष प्रमाण है। अतः सैकड़ों पीढ़ियों से परीक्षित अनुभूत पंचगव्यामृत प्रयोग मानव के शरीर, मन, मस्तिष्क सहित पृथ्वी,जल, अग्नि, वायु, आकाश आदि (समष्टि प्रकृति) को सब प्रकार के विषाणुओं तथा रोगाणुओं से रहित करने वाली व सात्विक जीवनी बढानी वाली अमोघ कालजयी व निरापद महौषधि है। इसलिए हम सभी आध्यात्मिक जगत मे भारतीय परम्पराओ उपासक व अनुयायी भारत सरकार के मुख्य घटकों से आग्रहपूर्वक निवेदन करते है कि इस समय कोरोना महामारी से भयभीत व संत्रस्त मनुष्य जाति सहित सम्पूर्ण जीवशजगत की सुरक्षा एवं परमहित के लिए अविलम्ब विशेष संसद-सत्र बुलाकर वेदलक्षणा गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाऐ तथा तत्काल स्वतन्त्र गोपालन मन्त्रालय का गठन करके वेदलक्षणा गोमाता से प्राप्त पंचगव्यामृत को अपनी आधुनिक अनुसंधानशालाओं में विधिवत परिस्कृत कर सम्पूर्ण औषधीय प्रयोगों द्वारा वर्तमान विनाशकारी विषाणुओ व रोगाणुओ से पहले भारतीय प्रजा के प्राणों की से रक्षा करे। इसके उपरान्त समस्त विश्व मानव जाति के जीवन रक्षार्थ प्रसादरूप में वेदलक्षणा पंचगव्यामृत का वितरण करके भारत राष्ट्र को महान श्रेय और किर्ती प्रदान कराए, साथ ही पृथ्वी, जल, वायु को विषाणुओं से मुक्त एवं जीवनी शक्ति से युक्त बनाने के लिए पंचगव्यामृत का शास्त्रीय विधि से उपयोग करके भविष्य को भी सुरक्षित करने का सतत प्रयास प्रारंभ करे। हम सभी भारत,सरकार को विशवास दिलाते है की सजगता तथा निष्ठा के साथ किया गया वेदलक्षणा पंचग्वयामृत का प्रयोग भारत,सहित सारे संसार के लिए महान राहत देने वाला एवं सर्वकल्याणकारी सिध होगा वेदलक्षणा गोविज्ञान संगोष्ठी मे विद्यमान उपरोक्त पुज्य धर्माचार्यो तथा संत महात्माओ ने सभी आध्यात्यामिक धार्मिक सामाजीक शेक्षणिक व राजनेतिक संस्थानो समुहो व संगनो के संचलाको तथा भारत की आम जनता से अपिल करते हुए आग्रह किया है की हमारे देश के समस्त उपासना स्थलो जन सेवा संस्थानो शिक्षा आदि प्रतिष्ठानो पारीवारीक आवासो तथा कृषी भुमीयो मे पवित्रीकरण शुधीकरण पुष्टीकरण सहित विविध प्रकार से वेदलक्षणा पंचग्वयामृत का विधिवत प्रयोग करके अपनी अपने आश्रीत जनो एवं देश की प्रजा को सुरक्षित रखने मे अति महत्वपुर्ण भुमीका का निर्वहन करके भविष्य जीवन उज्जवल आनंदकारी बनाए, वेदलक्षणा गोविज्ञान संगोष्ठी के समापन से पुर्व सभी महापुरषो ने स्वयं गोवृत का पालन करने तथा श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेङा के माध्यम से हरिद्वार क्षेत्र मे वेदलक्षणा पंचग्वयामृत अनुसंधान की स्थापना व पंचग्वयार्वैद चिकित्सालय के संचालन मे संपुर्ण सहयोग करने का सर्वहितकारी आशीर्वाद प्रदान कर वैदिक गोउत्पाद फाऊडेशन द्वारा निर्मित वेदलक्षणा पंचग्वयामृत प्रसाद ग्रहण करने के उपरान्त अपने अपने स्थानो की ओर प्रस्थान किया।
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