हरिद्वार। मानव कल्याण आश्रम के परमाध्यक्ष महंत स्वामी दुर्गेशानंद सरस्वती महाराज ने कुम्भ मेले के अवसर पर राजस्थान प्रांत के उदयपुर जिले के जागनाथ महादेव मंदिर कटावला मठ चावंड के पीठाधीश्वर घनश्याम बाव को सन्यास दीक्षा देकर अपना शिष्य घोषित किया और उन्हें स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती के नाम से दीक्षित कर सन्यास परम्परा का अनुगामी बनाया। मानव कल्याण आश्रम में एक संक्षिप्त कार्यक्रम में कोविड गाइड लाईन का पालन करते हुए सीमित संख्या में उपस्थित युवा भारत साधु समाज के पदाधिकारीयो की उपस्थित में सन्यास परम्परा में दीक्षित किया गया। इस अवसर पर मानव कल्याण आश्रम के परमाध्यक्ष महंत स्वामी दुर्गेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरू शिष्य परम्परा हमारी आदि परम्परा है। जो सनातन हिन्दू धर्म और सन्यास परम्परा का आधार हैं। उन्होंने ने कहा कि स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती वर्षो से जागनाथ महादेव मंदिर कटावला मठ चावंड उदयपुर राजस्थान में रह कर साधना और समाज का मार्ग दर्शन कर रहे हैं और राजस्थान में घनश्याम बाव जी के नाम से प्रतिष्ठित संत है। ऐसे शिव भक्त और जागनाथ महादेव मंदिर कटावला मठ चावंड उदयपुर राजस्थान के पीठाधिश्वर को सन्यास परम्परा में दीक्षित किया जाना, जहां इस परम्परा का संवर्धन है वहीं हमारी स्वस्थ गुरु शिष्य परम्परा का प्रतीक भी है। इस अवसर पर सन्यास परम्परा में नव दीक्षित संत स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गुरू देव स्वामी दुर्गेशानंद सरस्वती महाराज ने अपना शिष्य बना कर जो मुझ पर उपकार किया है, उसके प्रति सदैव कृतज्ञ रहूँगा और गुरूदेव के बताये अध्यात्म, सेवा और धर्म के मार्ग का निष्ठावान अनुगामी बना रहूँगा। इस अवसर पर मानव कल्याण आश्रम के सेवक, जूना अखाडे के म.म.स्वामी रवि गिरि महाराज, महंत गंगा दास, आचार्य हरिहरानंद, महंत स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सुतीक्षण मुनि, महंत दिनेश दास, महंत श्रवण मुनि, स्वामी कृष्ण दास, स्वामी कृपाला नंद, स्वामी अशोक बन, भगत कृष्ण कुमार अत्रि सहित संत महंतजन उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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