हरिद्वार। वरिष्ठ नागरिक सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने मुख्य चिकित्साधिकारी भेल को ज्ञापन प्रेषित कर सेक्टर वन स्थित स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी शुरू कराने की मांग की है। संगठन के अध्यक्ष चैधरी चरण सिंह ने बताया कि कोरोना काल में सरकार जनता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन भेल प्रबंधन द्वारा सेक्टर वन स्थित स्वास्थ्य केंद्र को बंद कर दिया गया है। जबकि सेक्टर छह स्थित स्वास्थ्य केंद्र मे ओपीडी की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। सेक्टर वन स्थित स्वास्थ्य केंद्र में ओपीडी सुविधा बंद होने से ज्वालापुर, हरिद्वार व कनखल के सेवानिवृत कर्मचारियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। सेवानिवृत वरिष्ठ कर्मचारियों की समस्या को देखते जल्द से जल्द चिकित्सा केंद्र में ओपीडी शुरू की जाए। उन्होंने बताया कि इसके अलावा नई दिल्ली स्थित भेल काॅरपोरेट कार्यालय द्वारा सेवानिवृत कर्मचारियों को व्हाटसअप पर चिकित्सक से दवा खरीदने की अनुमति व दवाईयों का बिल कार्यालय में आॅनलाईल जमा कराने के लिए कहा गया है। वरिष्ठ आयु वर्ग के सेवानिवृत कर्मचारियों के पास ना तो स्मार्ट फोन है और ना ही कर्मचारी उसका प्रयोग करना जानते हैं। उन्होंने कहा कि दवा खरीदने के लिए व्हाटसअप पर चिकित्सक की अनुमति व बिल आॅनलाईन जमा कराने की बाध्यता को समाप्त कर पूर्व तरह बिल सीधे चिकित्साल की खिड़की पर जमा कराने की सुविधा सेवानिवृत कर्मचारियों को दी जाए। ज्ञापन प्रेषित करने वालों में विद्यासागर गुप्ता, योगेंद्र राणा, एनसी कान्हा, हरिदयाल अरोरा, प्रेम कुमार भारद्वाज, चैधरी चरण सिंह, श्याम सिंह, एसपीएस भास्कर, पीसी धीमान, बाबूलाल, केपी शर्मा, हरिकिशन शर्मा, बाबूलाल, जगदीश शरण सक्सेना, जगदीश शर्मा आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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