हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा का पर्व समूह साधना, विश्व कल्याण की प्रार्थना एवं पौधरोपण को गति देने के संकल्प के साथ मनाया गया। अखण्ड जप में सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ साधकों ने भाग लिया। गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने वीडियो संदेश दिए। इसे शांतिकुंज व देवसंस्कृति विवि परिवार ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लाइव प्रसारण में भागीदारी की, तो वहीं देश-विदेश के गायत्री परिवार के कार्यकर्ता सोशल मीडिया के माध्यम से आनलाइन लाइव जुड़े। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री साधक के विचारों को पवित्र करती हैं, तो पतित पावनी गंगा अपने शरण आये लोगों को शुद्ध करती हैं। कहा कि युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य ने वैचारिक क्रांति को गति देने के उद्देश्य प्रचुर मात्रा में साहित्य का सृजन किया है। उन्होंने गुजरात, महाराष्ट्र, पं बंगाल, छत्तीसगढ़, मप्र आदि राज्यों में चलाये जा रहे पौधरोपण के लिए नर्सरी विकसित करने के विभिन्न सुझाव दिए। बताया कि रविवार को दिनभर में देश के विभिन्न स्थानों पर गायत्री परिवार ने एक लाख 64 हजार पौधे रोपे गये। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि यह महापर्व जिम्मेदारी उठाने का है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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